- जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
- नगर में राजनीतिक सरगर्मी फि र से तेज हो गई है। मामला है नगर पंचायत धरमजयगढ़ अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का। भाजपा पार्षदों ने कुछ कांग्रेसी पार्षदों के सहमति से अविश्वास प्रस्ताव के लिए एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है। चाहती तो भाजपा खुद अविश्वास प्रस्ताव ला सकती थी लेकिन प्रस्ताव को पास कराने के लिए और पार्षदों की सहमति चाहिए। इसलिए पहले से ही उनकी सहमति ले ली है। अब देखना यह है कि आवेदन पत्र में हस्ताक्षर करने वाले सभी पार्षद एकजुट रहते हैं या नहीं। यदि एकजुट रह गए तो अध्यक्ष का गिरना निश्चित है। लेकिन पिछले बार भी कुछ कांग्रेसी पार्षदों ने भाजपा को समर्थन करने की बात कही थी। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं किया, जिससे अध्यक्ष की कुर्सी बच गई थी। अब देखना है इस बार किया होता है?
विधायक लालजीत सिंह के लिए प्रतिष्ठा का सवाल
विधानसभा चुनाव को कुछ माह बच गए हैं। जिसके लिए सभी पार्टियां तैयारी में जुट गई है। ऐसे में सत्तापक्ष के अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाना। विधायक के नेतृत्व पर बड़ा सवाल खड़ा हो जाएगा। ठीक एक वर्ष पहले भी अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। जिसमें विधायक कांग्रेसी पार्षदों को एकजुट करने में सफ ल हो गए। बताया जा रहा है इस बार कांग्रेसी पार्षद ही अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए जोर लगा रहे थे। जिन्होंने आवेदन में हस्ताक्षर भी किया है। यदि पार्टी से टूटकर कांग्रेसी पार्षद प्रस्ताव के पक्ष में वोट देते हैं तो अध्यक्ष गिर जाएगी। ऐसे में चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगेगा, जो धरमजयगढ़ विधायक के काम काज पर भी सवालिया निशान होगा।
भाजपा के पास खोने को कुछ नहीं
नगर पंचायत में भाजपा विपक्ष में बैठी है। जिनका राजनीतिक धर्म कहता है अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहिए। क्योंकि नगर पंचायत में भाजपा बहुमत में है। यदि दो और पार्षदों का समर्थन भाजपा को मिल जाता है तो अध्यक्ष का गिरना तय है। यदि नहीं भी गिरती है तो भाजपा के पास खोने को कुछ नहीं है। यदि भाजपा अविश्वास प्रस्ताव पास करा लेती है तो यह धरमजयगढ़ ही नहीं अपितु पूरे रायगढ़ जिले के भाजपा कार्यकर्ताओं में संजीवनी बूटी का काम करेगी।
क्या कहता है नगर पंचायत का अंक गणित
नगर पंचायत में पंद्रह पार्षद हैं। अध्यक्ष का सीट पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित है। नगर पंचायत चुनाव में भाजपा को सात, कांग्रेस को छ: एवं निर्दलीय को दो सीट मिली थी। जिसमें से एक निर्दलीय पार्षद जो भाजपा से बागी होकर लड़ा था उसने भाजपा का दामन थाम लिया। जिससे भाजपा के 8 पार्षद हो गए। जो बहुमत है लेकिन भाजपा के पास पिछड़ा वर्ग महिला पार्षद नहीं होने के कारण एक मात्र पिछड़ा वर्ग महिला पार्षद तरुण श्याम साहू निर्विरोध अध्यक्ष चुनी गई है। जानकारों की माने तो अविश्वास प्रस्ताव पास कराने के लिए भाजपा को दो और पार्षद की सहमति चाहिए। वहीं अध्यक्ष को कुर्सी बचाने के लिए 6 पार्षदों का मत चाहिए। जो कांग्रेस के पास है। जनचर्चा है कि कांग्रेस के कुछ पार्षद अध्यक्ष के कार्यप्रणाली से नाराज हैं। जिसके कारण अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान कर सकते हैं। चुनावी वर्ष है कांग्रेस अपने पार्षदों को एकजुट रखने एड़ी चोटी एक कर देगी।