जोहार छत्तीसगढ़-लैलूंगा।
इन दिनों छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के सुदूर इलाके के लैलूंगा थाना अंतर्गत अपराधिक गतिविधियों में दिनों दिन इजाफ ा होने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। जैसे नशाखोरी, नशीले दवाओं का खुलेआम सप्लाई के साथ-साथ मारपीट, लड़ाई-झगड़ा विवाद, चोरी, हत्याएं, बलात्कार, जुआ, सट्टा, गांजे की तस्करी के अलावा यदि विभिन्न घटनाओं पर बारिकी से गौर किया जाये तो फि लहाल पुलिस थाना लैलूंगा में पहले की आपेक्षा अपराधिक गतिविधियों में बेहतासा वृद्धि होने से आम जनमानस में डर तथा भय का माहौल बना हुआ है। पुलिस के प्रति आम जनता के मन में पुलिस यानी सिर्फ और सिर्फ अवैध वसूली करने वाला विभाग माना जाने लगा है। वहीं आपको को बता दें की जुआडिय़ों से रेट फि क्स कर प्रति दिन के हिसाब से प्रति माह लाखों रूपये की अवैध वसूली के साथ ही गौवंश से भरी ट्रकों को गाडिय़ों को पार कराने तथा लाखों रूपये की कबाड़ से लदी ट्रकों को पार कराने जैसे संगीन अपराधों में लैलूंगा पुलिस के हाथ होने से पुलिस के प्रति लोगों के जुबान पर तरह-तरह की बातें सुनने को मिल रही हैं। आम जनता तमाम अपराधों की जिम्मेदार लैलूंगा पुलिस को मान रही है। तो ऐसे में क्या समझा जाये। वैसे भी आधिकांश मामलों के कोई भी प्रकरण हो थाने तक जाने के बाद वह तुरंत सैटिंग हो जाती और कई ऐसे मामले भी हैं जिनमें गांव देहात के गरीब जनता से मोटी रकम वसूल कर फि र उसे न्यायालय तक घसीट दी जाती है। लैलूंगा थाना क्षेत्र में बाहरी लोगों का जैसे फेरी वालों और धुमंतु प्रजातियों के लोगों का अंबार लगा हुआ है । जो की आये दिन रैकी कर चोरीए डकैती जैसे अपराधों को अंजाम देते हैं । जबकी इन लोगों पर पुलिस की विशेष निगरानी होनी चाहिए । लेकिन ऐसा करेगा कौन घ् वहीं एक कहावत भी है। जब सैंय्या भये कोतवाल तो डर काहे का अब यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा की लैलूंगा पुलिस प्रशासन में क्या कुछ खास कसावट या बदलाव लाई जाती है। अपराधिक गतिविधियों में कब तक अंकुश लग पायेगी या नहीं यह तो भविष्य ही बतायेगा।