Home छत्तीसगढ़ राजस्थानी गुजराती भेड़ बकरी ऊंट चट कर रहे वनस्पति जंगलों को

राजस्थानी गुजराती भेड़ बकरी ऊंट चट कर रहे वनस्पति जंगलों को

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हेमंत कुमार बंजारे
जोहार छत्तीसगढ़-कर्वधा।


कवर्धा वन मंडल के पंडरिया उप वन मंडल परिक्षेत्र के जंगलों में भेड़ बकरी चरवाहे हरे-भरे पौधों को लगातार काट रहे हैं। पंडरिया उप वन परिक्षेत्र के पूर्व,पश्चिम रेंज में जंगलों और मैदानी इलाकों में राजस्थान, गुजरात के ऊंट-भेड़ों का डेरा जमाए हुए है। भेड़, एवम पशुओं को खिलाने के नाम पर हरे-पौधे वनस्पति को काट रहे हैं। एक ओर जहां करोड़ों रूपये लगाकर पौधारोपण करवाया जा रहा है वही दूसरी और राजस्थानी डेरा वाले भेड़-बकरियों का झुंड विनाश कर रहे हंै। वन माफि या भी वनों की कटाई कर रहे हैं। लेकिन वन विभाग कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है। परिक्षेत्रवासियों में वन विभाग के खिलाफ जमकर आक्रोश देखने मिल रहा है। बता दें कि अंचल में करीब कई सालों से राजस्थान गुजरात की भेड़-बकरी यहां पहुंच रही है ये बरसात के दिनों में जंगल में रहते हैं। वहीं गर्मी के मौसम में मैदानी इलाकों को पहुंच जाते हैं। स्थानीय वनवासियों के अनुसार जिन स्थानों पर इनके भेड़, बकरी बैठते हैं वहां वनस्पति को काफ ी नुकसान पहुंचाते हैं। जंगल में अभी चरौंटा नामक वनस्पति की अंचल में भरमार है। जहां लगातार इसके दोहन करने के कारण अब यह गिनती की बची हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि राजस्थान, के चरवाहे वर्षा व शीत ऋ तु में जंगलों में रहते हैं। गर्मी का मौसम शुरू होते ही पानी की दिक्कत होने के कारण यह लोग मैदानी इलाकों में अपना डेरा जमाने लगते हैं। इन जंगलों में भेड़.बकरी व ऊंट का डेरा पंडरिया उप वन परिक्षेत्र के अंतर्गत पूर्व,पश्चिम जंगलों में भेड़-बकरी बड़ी संख्या में है। साथ में इनके साथ ऊंट भी है। जो पेड़ों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जहां इनका डेरा रहता है उस स्थान पर हरियाली पूरी तरह खत्म हो जाती है। इस प्रकार जंगल को खत्म किया जा रहा है।
वनांचल के आदिवासियों ने बताया
अगर ऊंट भेड़ वालों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो आने वाले कुछ वर्षों में वन और वनस्पतियां नष्ट हो जाएगी। जंगल क्षेत्रों में वन विभाग के रेंजर और बिडगाड रहते हैं। लेकिन अंचल के लोगों को कभी भी इन अधिकारियों की सक्रियता जंगलों की सुरक्षा के लिए दिखाई नहीं देती। इसी का फ ायदा उठाते हुए चरवाहों ने वनांचल में अपना डेरा जमाना प्रारंभ कर दिया है। वनांचलवासी जब इसका विरोध करते हैं तो उनके द्वारा भी धौंस जमाते हुए विवाद करने पर उतारू हो जाते हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं वन विभाग के कर्मियों का इन्हें संरक्षण प्राप्त है। इसके कारण बेखौफ होकर जंगलों में घुसकर पेड़ पौधों को चारागाह बनाकर नष्ट कर रहे हैं।
राजस्व में रहते है चराते है जंगलो में
आप लोगों को बता दे ये लोग रहने के लिए राजस्व जमीन में रहते है और भेड़ बकरी ऊंट चराते हैं। जंगलो में ताकी बहाना बनाते बने हम तो राजस्व के जमीन में है। विभाग के जिमेदार लोगों को सब जानकारी होने के बाउजूद नहीं करते इनके ऊपर कोई कार्यवाही जो समझ से परे है। पंडरिया उप वन मण्डल अधिकारी से इसके बारे में बात करने की कोशिश की तो गोल मटोल जवाब देते हुए कहा कि बेचारे लोग जंगल में नहीं रहेंगे तो कहा जाएंगे यार इस प्रकार का जवाब देने लगे इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं। किन की संरक्षण प्राप्त है इन्हें।

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