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फेस 1 की तरह फेस 2 की जनसुनवाई भी अधिकारियों द्वारा शिकायतों को किया जा रहा नजर अंदाज

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जोहार छत्तीसगढ़-बिलासपुर।
रसूक के आगे जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासन तक है मौन हालात इतने गंभीर है की ग्रामीणों के जीने के लाले पड़ गए है। जहां गांव के भोले-भाले ग्रामीण स्वास रोग से ग्रसित हो गये है वही खून पशीने से बोई फसल चौपट होगई है। खलिहानों से लेकर सड़को तक और खेतो से लेकर तालाबों तक काला और काला जहर फैला हुआ है। बता दे यह खेल मेसर्स फि ल स्टील एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स फि ल कोल बेनिफि ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा 2017 से खेला जारहा है। कंपनी के खिलाफ ग्रामीणों व एडवोकेट हरि कृष्ण शर्मा के द्वारा 22 अपैल 17 को जनसुनवाई अधिकारी को जनसुनवाई और शयंत्र स्थापना के खिलाफ शिकायत की थी। पर अधिकारियों द्वारा शिकायत को अनसुनी कर शयंत्र स्थापना की अनुमति दे दी गई। जबकी शिकायत से स्पष्ट था कि अधिकारियों द्वारा कंपनी के मालिक प्रवीण झा के रसूख के नीचे दब कर अनुमति देने को मजबूर हुए है। इसी तरह फेस 2 के शयंत्र के स्थापना के अधिकारियों द्वारा कंपनी के मालिक के रसूक के नीचे दबकर जनसुनवाई की अनुमति देदी जबकि ग्रामीणों द्वारा हप्तों से चक्काजाम और धरना कर रहे है फिर भी मेसर्स फि ल स्टील एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स फि ल कोल बेनिफिट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा ग्रामीणों को धोखे में रखकर प्लांट स्थापित करने के लिए जनसुनवाई तय कर दी गई है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है जनसुनवाई गांव में होने नहीं दी जाएगी। क्योंकि न तो अफ सरों ने इसकी सूचना दी है और न ही उनके सवालों का अब तक कोई जवाब दिया है। ग्रामीणों ने सोमवार को इस मामले को लेकर कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने का भी फैसला लिया है।
सिंचाई विभाग के मेसर्स फि ल स्टील एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स फि ल कोल बेनिफि ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को कारखाने तक परिचालन हेतु दिए गए नहर के जमीन की हो जांच
कुछ इसी तरह का मामला रेलवे के जमीन के उपयोग का था। रेलवे विभाग से पर्शनल उपयोग हेतु अनुमति लेकर वाणिज्यिक उपयोग करने लगा जबकि अनुबंध में स्पस्ट रूप उल्लेख था कि रेलवे के जमीन का उपयोग व्यक्तिगत रूप में किया जासकता है फि र कंपनी के मालिक के द्वारा अपने रसूक का इस्तेमाल कर वाणिज्यिक इस्तेमाल सालों तक करता रहा।
कही इसी तरह सिंचाई विभाग भी कंपनी के मालिक के रसूक के नीचे दब तो नहीं गया
पंचायतों से नहीं ली गई है अनुमति

ग्रामीणों ने बताया कि कोलवाशरी और स्टील प्लांट लगाने के लिए पहले जनसुनवाई होनी चाहिए। इसके बाद पर्यावरण प्रदूषण मंडल, खनिज सहित अन्य विभाग से कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिनए यहां मामला विपरीत है। अफसरों से मिलीभगत कर पहले दस्तावेज बनाकर प्लांट लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके बाद औपचारिकता के नाम पर जनसुनवाई की जा रही है। जनसुनवाई से पहले ग्राम पंचायतों से प्रस्ताव पास कराना चाहिए था। लेकिन, ऐसा नहीं किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि कोलवाशरी और प्लांट से पर्यावरण प्रदूषण प्रभावित होगा, फ सलों को नुकसान होगा, वॉटर लेबल प्रभावित होगा और तालाब और नदी के पानी भी प्रदूषित होगा। ग्रामीणों का आरोप है कि पर्यावरण प्रदूषण-मंडल और जिला प्रशासन के अफ सरों ने मिलकर प्लांट लगाने की योजना बना ली है और अब जनसुनवाई की जा रही है। इससे पहले ही गांव के 250 से अधिक ग्रामीणों ने विरोध करते हुए कलेक्टोरेट, खनिज विभाग और पर्यावरण विभाग में आवेदन दिया था।
कोलवाशरी के खिलाफ हाईकोर्ट में लंबित है याचिका
फि ल कोल बेनीफि केशन के संचालक ने अफ सरों से मिलीभगत कर घुटकू स्थित कोलवाशरी के विस्तार और स्टील प्लांट लगाने की तैयारी कर ली है। यही वजह है कि पर्यावरण प्रदूषण मंडल के अफसर दिखावे के लिए जनसुनवाई कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि घुटकू स्थित वाशरी से निकल रहे प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका लगी हुई है। जिसकी सुनवाई अभी लंबित है।

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