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दो साल से तिरंगे झंडे को नहीं फहरा पाने का सिलसिला कायम रहा

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जोहार छत्तीसगढ़-पत्थलगांव।

पत्थलगांव लाखझार के प्राथमिक शाला भवन में इस वर्ष भी नहीं फहराए गए तिरंगे झंडे, स्कूल के रूप में मिला निजी मकान में पाठ शाला हो रहे संचालित भवन जिसने अपने छोटे होने के बाद भी बड़े दिल रखकर 43 आदिवासी बच्चे जो पिछले दो वर्षो से अपनी जर्जर हालत से दम तोड़ चुकी स्कूल मे दर-दर भटक रहे बच्चो को इस भवन ने अपने छत के नीचे समेट आसरा दिया है। जिस भवन में शिक्षिका बैठ कर अब आराम से बच्चो को शिक्षा का पाठ पढ़ा रहे हैं जिस स्कूल के चलने से उनके जीवन मे चलने वाले आर्थिक पहिया जोरों से चल रहे हैं। लेकिन आज गणतंत्र दिवस जैसे दिन में जिसमें पूरे देश के सरकारी भवनों विद्यालयों को लोग अपने अपने तरीके से सजा कर ध्वजारोहण करने की तैयारी में लगे थे वही जशपुर जिले के पत्थलगांव विकासखंड के इस स्कूल के तस्वीर मे साफ कुछ और ही दिख रहा है जो बेहद शर्मनाक और निराशा जनक तस्वीर है। पिछले दो साल से भवन विहीन से प्राथमिक शाला में तिरंगा झंडा फहरा पाने में संस्था असमर्थ रहा था। लेकिन इस बार लगा था की एक अच्छा मौका है जिसमें बच्चो के पढ़ने के लिए निजी भवन मिला है उसमें प्राथमिक शाला के शिक्षिका ध्वजारोहण कर अपने स्कूल और देश का गौरव सम्मान बढ़ाएंगे, जंहा पूरे देश में हर गांव गली सरकारी भवनों विद्यालयों में राष्ट्रीय उत्सव को तिरंगा झंडा फहरा कर देश के गौरव को सम्मान दिया जाता है, वही इस भवन को भी आज झंडा फहराकर सम्मान मिलना लाजमी था। लेकिन इस तस्वीर ने साफ कर दिया की इस बार भी शिक्षा विभाग के इस संस्था के लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना अंदाज ने फिर से आज एक सम्मान प्रतिष्ठा स्वाभिमान गौरव को मटिया मैल धूमिल प्रदर्शित करने जैसे तस्वीर है जो की किसी भी सूरत में नैतिक मूल्यों को नहीं बताती।

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