जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
शिक्षा का अधिकार कानून की धज्जियां उड़ा रहा धरमजयगढ़ शिक्षा विभाग। छोटे-छोटे बच्चों से मजदूरों जैसा काम करवा रहे कारीगाड़ई प्राथमिक स्कूल के शिक्षक, आपको बता दे कि शिक्षाक का अधिकार के तहत किसी भी स्कूली बच्चों से कार्य नहीं करवाया जा सकता है लेकिन धरमजयगढ़ में शासन का शिक्षा का अधिकार कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है। शिक्षा को लेकर शासन बहुत कुछ कर रहा है। छोटे बच्चों की पढ़ाई के शिक्षा का अधिकार कानून भी बनाया गया है। जिससे कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। लेकिन कुछ शिक्षकों को इससे कोई लेना देना नहीं है। जहां बच्चों को शिक्षा देना चाहिए उन नन्हें बच्चों को फावड़ा देकर काम कराया जा रहा है। आप साफ विडियों में देख सकते हैं कि छोटे-छोटे बच्चों से किस कदर काम करवाया जा रहा शिक्षक द्वारा। हम बात कर रहे हैं
विकासखंड धरमजयगढ़ संकुल स्रोत केंद्र बोरो अंतर्गत आदिम जाति कल्याण प्राथमिक शाला कारीगड़ई की। जहां 10 दिसंबर को बच्चों के हाथों में फावड़ा देकर काम कराया जा रहा था। वहीं स्कूल में पदस्थ शिक्षक खड़े होकर उन्हें आदेश दे रहे थे। प्राथमिक शाला के बच्चे कितने बड़े होंगे आप खुद समझ सकते हैं। स्कूली बच्चे बड़ी मुश्किल से फावड़ा को उठा पा रहे थे। लेकिन शिक्षक को जरा सी भी दया नहीं आया कि कहीं इन बच्चों के पैरों काम करत वक्त फावड़ा लग न जाये। आप खुद देख रहे हैं कि नन्हें-नन्हें बच्चों से मजदूर जैसा काम कराया जा रहा था। बच्चों को शिक्षा के साथ साथ साफ -सफ ाई या अन्य विषयों पर भी ज्ञान देना चाहिए। लेकिन इतने छोटे बच्चों से फावड़ा से घास छिलवाना उचित नहीं है। इस संबंध में जब विकास खण्ड शिक्षाधिकारी एसआर सिदार से पूछा गया तो उन्होंने बोला कि इसके बारे में मुझे नहीं मालूम मैं इसकी जानकारी लेता हूं शिक्षक इस तरह से काम कैसे करवा रहे हैं। स्कूली बच्चों से किसी भी प्रकार का काम नहीं करवाया जा सकता है। अब देखना होगा कि छोटे-छोटे बच्चों से काम करवाने वाले शिक्षकों पर क्या कार्यवाही होता है?