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वर्षों से एक ही पंचायत में जमे पंचायत सचिवों की मनमानी से परेशान ग्रामवासी, विकास के लिए रोड़ा सबित हो रहा पंचायत सचिव, सामान्य सभा में प्रस्ताव लाने के बाद भी नहीं हो सका तबादला, अधिकारी खुश तो कुछ भी कर ले सचिव कोई जांच नहीं

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जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।


ग्रामीण क्षेत्रों का विकास का जिम्मा ग्राम पंचायत सचिवों के पास होता है। लेकिन ऐसा लगता धरमजयगढ़ विकास खण्ड में सचिवों के पास ग्रामीण क्षेत्र का विकास का नहीं विनाश का जिम्मा दे दिया गया है? जिसका नतीजा है धरमजयगढ़ जनपद पंचायत के 118 पंचायतों के अधिकत्तर पंचायत में लाखों का घोटाला कर रखे हैं पंचायत सचिवों द्वारा। लेकिन इनके लाखों का जांच करने वाला इस जनपद पंचायत में कोई नहीं है। यदि इन भ्रष्ट सचिवों की शिकायत ग्रामीणों द्वारा जनपद पंचायत अधिकारी के पास करते हैं तो ये अधिकारी शिकायतकर्ता की शिकायत को अपनी कमाई का जरिया बनाकर शिकायत को कचरे के ढेर में डाल दिया जाता है। धरमजयगढ़ विकास खण्ड में शौचालय के नाम पर अधिकारी और पंचायत सचिवों द्वारा लाखों नहीं करोड़ों का घोटाला किया गया है। ग्रामीण के घर में बिना शौचालय बनाये ही गांव को ओडीएफ बना दिया गया है, और जिन ग्रामीण के घर शौचालय सचिव द्वारा बनवाया गया है वह पूरी तरह भ्रष्टाचार का भेट चढ़ा दिया गया। पंचायत द्वारा निर्माण करवाया गया शौचालय उपयोग करने योग्य नहीं होने के कारण आज भी ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर है। बात सिर्फ शौचालय निर्माण का ही नहीं है धरमजयगढ़ विकास खण्ड के 118 ग्राम पंचायत में शासन के जितने भी योजना है सभी में खुलकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है, और इस घोटाले की जानकारी अधिकारी-कर्मचारी को होने के बाद भी घोटाले को रोकने के लिए कोई उपाये नहीं किया गया। बल्कि इन भ्रष्ट सचिवों को साथ देकर घोटाले करने के एवज में मोटी रकम लिया जाता है। जिसका नतीजा है कि शासन के करोड़ों रूपये आने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा है। शासन के नियमानुसर पंचायत का निर्माण कार्य किसी भी कीमत में ठेकेदारी से नहीं करना है लेकिन धरमजयगढ़ पंचायत का एक भी कम सरपंच अपने हाथ में लेकर नहीं कर सकते हैं क्योंकि जनपद पंचायत अधिकारी द्वारा फिक्स कर दिया जाता है फलना काम फलना ठेकेदार करेंगे। अधिकारी की फरमान के बाद किस सरपंच के पास हिम्मत है कि काम ठेकेदार को न देकर खुद करे।


जनप्रतिनिधियों की औकात सिर्फ प्रस्ताव लाने तक


धरमजयगढ़ जनपद पंचायत में सामान्य सभा की बैठक में जनप्रतिनिधियों ने एक ही पंचायत में वर्षों से पदस्थ सचिवों का तबादला करने का प्रस्ताव पास किया था। लेकिन साल बिता जाने के बाद भी सचिवों का तबादला नहीं हो सका बल्कि अधिक भ्रष्ट सचिव को दो-दो पंचायत का प्रभार दे दिया गया। और जनप्रतिनिधि के आंख के सामने घोटाला करने का छूट अधिकारी द्वारा दे दिया गया। अब ऐसे जनप्रनिधि क्षेत्र का विकास क्या कर पायेगा जिसकी एक बात को जनपद पंचायत कार्यलय के चपरासी भी नहीं सूनते हैं। जिसका नतीजा है कि ग्रामीण क्षेत्र में विकास नहीं विनाश हो रहा है। अधिकारी जनप्रतिनिधियों के बात नहीं सूनते हैं इस बात को जनपद पंचायत अध्यक्ष पूनीत राठिया ने मीडिया के सामने कई बार बोल चूके हैं कि अधिकारी अपनी मनमानी करने में तूला हुआ है जनप्रतिनिधियों के एक भी काम नहीं करते हैं सिर्फ भ्रष्टाचार में गोता लगा रहे हैं।


जनपद पंचायत कार्यालाय में हमेशा दिखाई देते पंचायत को लूटने वाले ठेकेदार


जनपद पंचायत कार्यालय में एक दो ऐसे ठेकेदार आपको हमेशा दिखाई देगा जो ग्राम पंचायत के निर्माण कार्य को ठेका लेकर खुलकर भ्रष्टाचार करते हैं। सबसे मजेदार बात है कि धरमजयगढ़ जनपद पंचायत आदिवासी बाहुल्य होने के कारण सरपंच कम पढ़े लिखे होते हैं और इसका खुलकर सचिव फायदा लेते हैं कम पढ़ा लिखा होने के कारण कहीं भी सरपंच का हस्ताक्षर करवा लेते हैं। हस्ताक्षर करवाकर खुलकर शासकीय राशि का गोलमाल कर लेते हैं। कम पढ़ा लिखा होने के कारण बहुत से सरपंच को मालूम भी नहीं होता है कि पंचायत का काम को ठेकाप्रथा से नहीं किया जा सकता। ठेकेदार द्वारा सरपंचों को कहा जाता है कि इस काम को मैं रायपुर से लाया हूं इस काम को कोई नहीं मैं करूंगा सरपंच बेचारा क्या करे गांव का सीधा साधा आदिवासी नेता है ठेकेदार को साहब जी साहब जी करता रहता है। और कोई सरपंच अगर नहीं मानते हैं तो ये चालक ठेकेदार जनपद पंचायत अधिकारी से बात करवात देते है फिर क्या सरपंच बेचार जी साहब आप जैसा बोले रहे हैं वैसा ही होगा काम को ठेकेदार साहब ही करेंगे बोलते हैं। जबकि ऐसे ठेकेदार को सरपंच को लात मारकर भगा देना चाहिए लेकिन गांव का साधा सीधा इंसान को मालूम ही नहीं कि उसका अधिकार क्या है। सरपंच इताना सीधा होते हैं कि सचिव अपना बैग और सामान को उठाने के लिए सरपंच को अपने गाड़ी के पीछे बैठाकर मुख्यालय लाते हैं ताकि बैग सचिव को उठाना न पड़े।

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