जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
हाथी का कब किधर से मिल जाए कहा नहीं जा सकता है। छत्तीसगढ़ में दो दशक पहले हाथियों का आगमन हुआ था। जिसमें वन मण्डल धरमजयगढ़ क्षेत्र में भी कई हाथियों ने स्थाई डेरा जमा लिया है। विगत कई वर्षों से धरमजयगढ़ वन मण्डल में हाथियों की संख्या बड़ा रहा है। ज्यादातर समय 30 से 40 हाथी रहते हैं। कभी कभी तो आंकड़ा 50 से पार शतक के करीब हो जाती है। आज शाम भी छाल वनपरिक्षेत्र में 16 हाथियों की विचरण करने की सुचना मिली है। बता दें कि धरमजयगढ़ खरसिया मुख्य मार्ग में वृंदावन से तरेकेला के बीच सागौन बाड़ी में 16 हाथियों का झुंड विचरण कर रहा है। जिस कारण उक्त मार्ग में आवागमन करने वालों से सावधानी बरतने की अपील की गई। क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में हाथी की खबर सुनकर गांवों में भय का वातावरण निर्मित हो गया है।धरमजयगढ़ क्षेत्र में हाथी एक स्थायी समस्या बन गया है। क्योंकि जंगल से निकलकर गांव में फसल को नुकसान पहुंचाते हैं वहीं सैकड़ों लोगों को हाथियों ने मौत की नींद सुला दिया है। वनांचल क्षेत्रों में लोगों के लिए जंगल बहुत बड़ा आय का साधन है। लेकिन हाथियों से जानमाल की डर से ज्यादातर ग्रामीण जंगल जाने से बच रहे हैं। शासन द्वारा आज तक हाथी समस्या का कोई हल नहीं निकाला गया है। सुनने में आया है कि शासन लेमरू एलिफेंट कॉरिडोर बनाने वाली है। लेकिन अभी तक इस ओर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।