टोरंटो । कनाडा में 44वीं संसद के मतदान में लिबरल प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का बहुत कुछ दांव पर लगा है। हाल के दिनों में उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है। उन्हें कंजर्वेटिव नेता एरिन ओ’टोल ने बड़ी मुसीबत में डाल रखा है। चुनाव पूर्व तमाम सर्वे में एरिन ओ’टोल और जस्टिन ट्रूडो के बीच कांटे की टक्कर दिखाई गई है। हर सर्वे में जस्टिन ट्रूडो की पार्टी को अपने प्रतिद्वंद्वी के मुकाबले पिछड़ता दिखाया गया है। संभावना है कि इस बार कनाडा में दक्षिणपंथी पार्टी सत्ता में आ सकती है।
कनाडा सरकार के आंकड़ों के अनुसार, इस साल के आम चुनाव में 2 करोड़ 70 लाख से ज्यादा लोग चुनाव में हिस्सा लेने वाले हैं। जिनमें करीब 57 लाख लोग पहले ही मतपत्र से वोट डाल चुके हैं। चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के अनुसार, न तो लिबरल्स और न ही दक्षिणपंथी पार्टियों के पास बहुमत के लिए आवश्यक 38 फीसदी जनता का समर्थन हासिल होने की संभावना है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए देश में समय पूर्व चुनाव कराने का ऐलान कर दिया था, लेकिन चुनावी सर्वेक्षणों में पाया गया है कि कोविड-19 संकट और अफगानिस्तान मुद्दे को लेकर जस्टिन ट्रूडो सरकार के प्रति लोगों की नाराजगी है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपनी वामपंथी-केंद्र सरकार को पूर्ण बहुमत दिलाने के लिए 2 साल पहले ही चुनाव कराने का ऐलान कर दिया, लेकिन माना जा रहा है कि 2019 में हुए चुनाव से भी कम सीट जस्टिन ट्रूडो की पार्टी को मिल सकती हैं।