भोपाल । गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय ग्वालियर और महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज इंदौर के पीजी प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ज्ञापन देकर न्याय की गुहार लगाई है। बता दें कि नेत्र चिकित्सा विज्ञान में पीजी डिप्लोमा करने वाले डॉक्टरों में करीब 65 फीसद को फर्स्ट ईयर की थ्योरी क्लास की परीक्षा में फेल कर दिया गया है। यह परीक्षा मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय लेता है। फेल हुए छात्रों में विश्वविद्यालय की प्रति बहुत ज्यादा गुस्सा है। उनका कहना है कि कोरोना के दौरान वह कोरोना से जुड़ी ड्यूटी में दिन-रात जुटे रहे। इस वजह से उनकी थ्योरी और क्लीनिकल दोनों तरह की पढ़ाई प्रभावित हुई है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने भी कोरोना से संबंधित ड्यूटी करने वाले मेडिकल छात्रों के प्रति परीक्षाओं में सहानुभूतिपूर्वक निर्णय लेने को कहा था, लेकिन प्रदेश में छात्रों को फेल किया जा रहा है, जबकि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। ज्ञापन में सिर्फ दो कॉलेजों के छात्रों का जिक्र है। हालांकि हकीकत में प्रदेश के सभी छह पुराने मेडिकल कॉलेजों में ऐसी ही स्थिति है। इन विद्यार्थियों के फेल होने के बाद अब एमडी-एमएस करने वाले अन्य छात्रों के मन में भी यही डर है कि कोरोना संक्रमण के दौरान ड्यूटी के चलते उनका पेपर बिगड़ा तो उन्हें भी फेल कर दिया जाएगा। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या यह हो सकती है कि तीसरी लहर आने पर प्रदेश में कोरोना के मरीज बढ़े तो जूनियर डॉक्टर ड्यूटी से बचेंगे। ऐसे में मरीजों को परेशानी होगी।मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में छात्रों ने कहा है कि उन्होंने अपने परिवार को और खुद को जोखिम में डालकर कोरोना के मरीजों की सेवा की है। इसी वजह से उनकी पढ़ाई पर भी असर पड़ा है।