भोपाल । एक सितंबर से शराब दुकान से हर ग्राहक को बिल देने की व्यवस्था में शराब दुकानदारों ने सेंध लगा दी है। देसी शराब की दुकानों पर बिल रजिस्टर तो रखे गए हैं, लेकिन ग्राहकों को बिल नहीं दे रहे हैं। रोज एक ही समय में इक्ट्ठा बिल फाड़कर रख लिए जाते हैं जिससे अगर पड़ताल हो तो बिल कटे हुए दिखें। कुछ अंग्रेजी शराब दुकानदार भी ऐसा कर रहे हैं। आबकारी के अफसरों ने हर दुकान पर बिल मिलने का दावा किया था जोकि हकीकत में नहीं दिख रहा है। शराब को मनमानी कीमत पर बिकने से रोकने के लिए यह सिस्टम लागू हुआ, लेकिन बिल न देने वाले दुकानदार अभी भी मनमानी कर रहे हैं।
ज्ञात रहे कि पिछले माह आबकारी के आयुक्त राजीव चंद्र दुबे ने शराब की दुकानों पर मनमानी रोकने के लिए टेस्ट परचेज करने के निर्देश दिए थे। भोपाल जिले में भी जांच टीम का गठन किया गया, लेकिन टेस्ट परचेज की रिपोर्ट जारी नहीं की गई। इसके कुछ दिनों बाद ही एक सितंबर से शराब दुकानों से बिल सिस्टम लागू करने के आदेश जारी किए गए।
बिल पर हस्ताक्षर भी नहीं, पता कैसे चलेगा
शराब दुकानों से मिलने वाले बिलों में हस्ताक्षर भी नहीं किए जा रहे हैं। इससे बिल अधिकृत नहीं माना जाता है। शराब दुकानों पर जान-बूझकर ऐसा किया जा रहा है, लेकिन आबकारी विभाग ने अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया है। वहीं बिल फाड़कर रख लेने और ग्राहक को न देने का खेल भी आबकारी विभाग नहीं पकड़ रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पालन नहीं
प्रदेश सरकार ने एक सितंबर से सभी शराब दुकानों से शराब बिक्री होने पर बिल देना अनिवार्य कर दिया है। शासन ने भोपाल मुख्यालय से इस संबंध में आदेश भी जारी किए हैं। बावजूद इसके ग्रामीण क्षेत्र की शराब दुकानों में शासन का आदेश को लागू कराने के प्रयास में आबकारी, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों का पसीना छूट रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों की शराब दुकानों में न तो रेट लिस्ट लगी है और ना ही बिल दिया जा रहा है।
शिकायतों का असर नहीं
ग्रामीण बताते हैं कि प्रदेश सरकार ने वाहवाही लूटने के लिए शराब दुकानों में बिल अनिवार्य का आदेश तो जारी कर दिया, लेकिन इसे जमीनी स्तर पर लागू करवाने में प्रशासनिक अधिकारी नाकाम हैं। प्रतिदिन सैकड़ों शिकायत होने के बाद भी आबकारी अधिकारी अंजान बने हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शराब पीने वालों को हर ब्रांड की बोतल, हाफ, क्वार्टर खरीदने के लिए 50 से 100 रुपए अधिक देना पड़ रहा है। शराब माफिया के सामने प्रशासनिक अधिकारी ही बेबस हैं, तो ग्राहक किससे शिकायत करे? शराब दुकान के कर्मचारी बिल मांगने पर कहते हैं कि ऊपर से बिल नहीं आ रहे हैं।