भोपाल । प्रदेश के बरखेड़ा से बुधनी के बीच आस्ट्रियन तकनीक से रेल वे द्वारा सुरंगें बनवाई जा रही है। रेलवे द्वारा दो सुरंगें ऐसी बनाई जा रही हैं, जिनमें दो ट्रैक डाले जा रहे हैं। इस सुरंग से दो ट्रेनें एक साथ गुजर सकेंगी। दो ट्रैक वाली सुरंगें अभी तक मध्य प्रदेश के किसी भी रेलमार्ग पर नहीं है। कुल पांच सुरंगें बनाई जा रही हैं।रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) इन सुरंगों का निर्माण घोड़े की नाल के आकार में करवा रहा है, जो एक अर्ध गोले की तरह है। इस सुरंग का निर्माण करने के लिए जो पद्धति उपयोग में लाई जाती है, वह नई ऑस्ट्रियन सुरंग निर्माण पद्धति कहलाती है। इसमें कांक्रीट, ऐंकर्स तथा अन्य सपोर्ट के माध्यम से सुरंग की परिधि को स्थिर किया जाता है। पहली सुरंग 1080.00 मीटर लंबी है। इनवर्ट सफाई और पीसीसी कार्य प्रगति पर है। 315 एमएम ब्यास मध्य नाली की खुदाई और संस्थापन का काम चल रहा है। नो फाइन कांक्रीट के साथ 160 एमएम व्यास छिद्रित साइड नाली बनाई जा रही है। वाटरप्रूफिंग की जा रही है। सतह पर आरसीसी का काम चल रहा है। दूसरी सुरंग 200 मीटर लंबी और सिंगल ट्रैक वाली सुरंग है। पोर्टल विकास, एपोक्सी ग्राउटिंग का काम चल रहा है। तीसरी सुरंग भी 200 मीटर लंबी सिंगल ट्रैक वाली सुरंग है। पोर्टल-1 और पोर्टल-2 से लगभग 51 मीटर की भूमिगत खुदाई पूरी हो चुकी है। वर्तमान में पोर्टल-2 की तरफ से बेंचिंग खुदाई का काम किया जा रहा है। चौथी सुरंग में डबल ट्रैक वाली सुरंग होगी। इसकी लंबाई 140 मीटर है। इटारसी की तरफ से पोर्टल विकास कार्य प्रगति पर है। सुरंग की खुदाई भोपाल की तरफ से शुरु हुई। 12 मीटर की खुदाई पूरी हो चुकी है। पांचवी सुरंग की लंबाई 530 मीटर है। सुरंग का निर्माण 500 मीटर की गोलाई में हुआ था। टनल 5 की कुल लंबाई 530 मीटर और चौड़ाई 14.4 मीटर है, जो असाधारण है क्योंकि यह एक डबल ट्रैक सुरंग है। सिंगल ट्रैक सुरंग का निर्माण भारतीय रेल में प्रचलित रहा है। चूंकि टनल-5 वन्यप्राणी अभयारण्य में पड़ती है, इसलिए बहुत सख्त प्रक्रियाओं के तहत बनाई जा रही है। इसमें सूर्योदय से सूर्यास्त तक एक ही पाली में सुरंग का निर्माण कार्य किया जा रहा है। सुरंग के निर्माण प्रक्रिया के तहत दोनों तरफ से मई 2020 में निर्माण आरंभ हुआ और फरवरी 2021 में पूरा हो चुका है।