भोपाल । प्रदेश में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीज लगातार बढते जा रहे हैं। राजधानी में मंगलवार को डेंगू के 16 नए मरीज मिले हैं। शहर में डेंगू मरीजों की इस साल की संख्या 140 तक पहुंच गई है। चिकनगुनिया के भी 10 मरीज मिले हैं। सोमवार को 12 मरीज मिले थे। चिकनगुनिया के भी तीन दिन में 17 मरीज मिल चुके हैं। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती हैरान करने वाली है। आलम यह है कि शहर में लार्वा सर्वे के लिए टीम नहीं बढ़ाई जा रही हैं। पूरे भोपाल में अब भी सिर्फ 33 टीम काम कर रही हैं। हालत यह है कि जिस घर में डेंगू का मरीज मिल रहा है, वहां और उसके आसपास के घरों में लार्वा सर्वे करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम दो से तीनदिन बाद पहुंच रही है। इससे बीमारी को फैलने से रोकने में दिक्कत हो रही है। बता दें कि जांच में अभी 10 से 12 फीसद घरों में लार्वा मिल रहा है, लेकिन इसके बावजूद मकान मालिकों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। सरकारी दफ्तरों में डेंगू की रोकथाम के लिए मंगलवार को जिला मलेरिया अधिकारी अखिलेश दुबे और सलाहकार (मच्छरजनित बीमारी) रुचि सिलकारी ने हर दफ्तर से आए एक प्रतिनिधि को लार्वा की पहचान और उसे नष्ट करने के तरीके बारे में बताया। अब इन दफ्तरों में प्रशिक्षित कर्मचारियों की जिम्मेदारी होगी वह लार्वा पनपने से रोकें। कलेक्टर अविनाश लवानिया ने सभी विभागों से एक कर्मचारी को इस संबंध में प्रशिक्षित करने को कहा था।उधर, शहर में स्क्रब टाइफस के भी सोमवार को दो मरीज मिले हैं। इनका एक निजी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। इसके पहले सतना, नरसिंहपुर, दमोह, कटनी, रायसेन में अगस्त में इस बीमारी के मरीज मिल चुके हैं। प्रदेश में दो मरीजों की मौत भी हो चुकी है। स्वास्थ्य संचालनालय ने सभी जिलों को सतर्क करते हुए संदिग्धों के सैंपल एम्स भोपाल और आइसीआएमआर जबलपुर की लैब में भेजने को कहा है। यह बीमारी चूहों में मिलने वाले संक्रमित कीटों के काटने से होती है। बुखार, सिरदर्द, जोड़ व मांसपेशियों में दर्द होता है।