भोपाल । एनसीएल में कोयला उत्पादन के संसाधनों का आकलन अब सॉफ्टवेयर के जरिए होगा। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) ने न केवल स्पेक्ट्रल एनहान्समेंट (एसपीइ) नामक सॉफ्टवेयर लांच किया है। बल्कि एनसीएल सहित अन्य कंपनियों को इस सॉफ्टवेयर से जोड़ा भी है। यह सॉफ्टवेयर भूकंपीय तरंगों की मदद से सर्वे कर भूगर्भ में दबी कोयले की पतली से पतली परत का पता लगाने में मदद करेगा। इससे कोयला संसाधनों के बेहतर आकलन में मदद मिलेगी। यह एनसीएल सहित अन्य कंपनियों में कोयले की खोज में इस्तेमाल होने वाला अपनी तरह का पहला ऐसा सॉफ्टवेयर है।
अब तक भूगर्भ में कोयले की सीमा का पता लगाने के लिए किए जा रहे भूंकपीय सर्वे से धरती के अंदर मौजूद कोयले की पतली सीमा की स्पष्ट रूप से जानकारी नहीं होती थी। जिससे कोयला संसाधनों के आकलन में मुश्किल आती है। एसपीई सॉफ्टवेयर इसी समस्या का समाधान है। क्योंकि यह भूकंपीय तरंगों की क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है, जिससे धरती के अंदर कोयले की पतली से पतली सीमा का भी पता चल पाता है।
कोल इंडिया की अन्वेषण एवं विकास (आरएंडडी) करने वाली अनुशंगी कंपनी सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआइ) ने अपनी तरह के इस पहले सॉफ्टवेयर को गुजरात एनर्जी रिसर्च एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के सहयोग से तैयार किया है। इस सॉफ्टवेयर के कॉपीराइट प्रोटेक्शन के लिए भी आवेदन दिया जाएगा। यह मेड इन इंडिया सॉफ्टवेयर कोयले की खोज की प्रक्रिया में लगने वाले समय और पैसे के खर्च को भी कम करेगा। जिससे देश को कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।