भोपाल । शहर में कोरोना वायरस संक्रमण के बाद अब डायरिया एवं वायरल फीवर ने लोगों को परेशान कर रखा है। हालत ऐसे है कि शहर के कुल मरीजों में पचास से साठ फीसद मरीज अकेले वायरल फीवर के अस्पताल पहुंच रहे हैं। राजधानी के निजी और सरकारी अस्पतालों में मेडिसिन विभाग की ओपीडी में आने वाले मरीजों में पचास से साठ फीसद अकेले वायरल फीवर के होते हैं। बड़ी बात यह है कि इस बार वायरल फीवर में डायरिया भी हो रहा है। इन दिनों कोरोना संक्रमण खतरा भी बना हुआ है। ऐसे में डॉक्टरों की सलाह है कि सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार को हल्के में ना लें। कोरोना की भी जांच कराएं। चिकित्सकों ने बताया कि वायरल फीवर ठीक होने में पांच से सात दिन लग रहे हैं। करीब 10 फीसद मरीजों को तेज बुखार की वजह से अस्पताल में भर्ती भी करना पड़ रहा है। इस बारे में राजधानी के डॉक्टर लोकेंद्र दवे का कहना है कि हमीदिया अस्पताल के छाती व स श्वास रोग विभाग की ओपीडी में हर दिन करीब 140 मरीज आते हैं। इनमें से 40 से 50 फीसद मरीज अकेले वायरल फीवर के होते हैं। हालांकि बीमारी के लक्षण पहले जैसे ही हैं कोई विशेष बदलाव नहीं है, लेकिन अभी कोरोना का खतरा भी है इसलिए वायरल फीवर होने पर भी कोरोना की जांच करानी चाहिए, जिससे किसी भी तरह के जोखिम से बचे रहेंगे। वहीं निजी अस्पताल के डॉक्टर आदर्श वाजपेई का कहना है कि मेडिसिन विभाग की ओपीडी में जितने भी मरीज आते हैं उनमें से करीब 50 फीसद मरीज वायरल फीवर के होते हैं। बड़ी बात यह है कि इस बार वायरल फीवर में हल्का बुखार के साथ दस्त भी लग रहे हैं। वायरल फीवर के 20 से 30 फीसद मरीजों में यह तकलीफ देखने को मिल रही है। बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। उधर छाती व श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ पीएन अग्रवाल का कहना है कि वायरल फीवर के मरीज 10 दिन पहले की तुलना में 20 से 30 फीसद तक बढ़ गए हैं। कुछ मरीजों को डायरिया भी देखने को मिल रहा है। सर्दी, खांसी,गले में खराश और बुखार के साथ मरीज आ रहे हैं। मरीजों को सलाह दी जाती है कि भीगने से बचें। ज्यादा ठंडी चीजें ना खाएं।