भोपाल। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कोयले की खदानों में पानी भरने से आपूर्ति बाधित हुई थी। कोल इंडिया को बकाया राशि का भुगतान किया जा रहा है। प्रदेश में पर्याप्त बिजली है। वैकल्पिक उपाय भी कर रहे हैं। अब संकट जैसे हालात नहीं हैं। उधर प्रदेश के गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने भी आश्वस्त किया है कि पांच से सात दिनों में सब ठीक हो जाएगा। मांग में कमी और आपूर्ति बढ़ने से बिजली कटौती के मामलों में भी सामान्य स्थिति आ रही है। उधर, प्रदेश में बुधवार रात साढ़े आठ बजे (अधिकतम मांग का समय) 9626 मेगावाट बिजली की उपलब्धता रही। मांग और आपूर्ति में पांच से सात फीसद का अंतर रहा। कोयले की रैक भी प्रदेश पहुंचना शुरू हो गई है। जानकारी के अनुसार, सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना के लिए वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड की ओर से चार रैक अनलोड (पहुंचाए) किए गए। दो रैक रास्ते में हैं। वहीं, साउथ ईस्ट कोलफील्ड लिमिटेड की कोरबा, न्यू कुसमंडा और देवरा से पांच रैक पहुंचने वाले हैं। सिंगरौली के लिए भी दो रैक रवाना कर दिए गए हैं।बिजली कटौती के मामले में मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से चर्चा में कहा कि अवर्षा से नर्मदा घाटी में कम पानी व कोयले की कमी के कारण बिजली के जो हालात बने हैं, उन्हें जल्द दुरुस्त कर लिया जाएगा। मंगलवार को कैबिनेट में भी इस विषय को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए इसकी गहन समीक्षा की गई। भाजपा सरकार ने ही दिग्विजय सिंह के अंधेरे राज से निकाल कर प्रदेश को रोशन किया था। पांचसात दिन में सब ठीक कर लिया जाएगा। उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने ट्वीट किया कि पहले तो मध्य प्रदेश में बिजली संकट, कोयले की कमी और अघोषित विद्युत कटौती से ही जिम्मेदार इन्कार करते रहे। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी संकट स्वीकार कर रहे हैं। सरकार समय पर वैकल्पिक इंतजाम करती तो बिजली संकट की स्थिति ही नहीं बनती। इधर, स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर जबलपुर के मुख्य अभियंता केके प्रभाकर के मुताबिक मांग और आपूर्ति के बीच कोई खास अंतर नहीं बचा है। सेंट्रल सेक्टर से भी बिजली की आपूर्ति बढ़ गई है। पिछले दिनों मांग बढ़कर 10 हजार मेगावाट तक पहुंच गई थी, इससे आपूर्ति में दिक्कत आई थी। अब मांग में कमी आने से हालात सामान्य हो गए हैं।