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दुर्गापुर खुली खदान के प्रभावित किसानों ने विधायक से मुलाकात कर मांगा मुख्यमंत्री से मिलने का समय… किसानों की मांग मिले 30 से 40 लाख प्रति एकड़ मुआवजा नहीं तो खदान हो निरस्त

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जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।


राजस्व विभाग धरमजयगढ़ के अधीन हल्का नंबर 33 धरमजयगढ़ कालोनी, हल्का नंबर 36 बायसी कालोनी तथा ग्राम दुर्गापुर, शाहपुर व आस पास क्षेत्र के लगभग 6 सौ किसान परिवार विगत सात वर्षों से मानसिक व आर्थिक तौर पर बहुत परेशान हो रहे हैं। इस क्षेत्र के लोग अपने मौलिक अधिकारों के लिए विगत कई वर्षों से आंदोलनरत है। इस क्षेत्र में एस‌ईसीएल की खुलीखदान प्रस्तावित होने के कारण अनेकों कार्यों में प्रतिबंध है एस‌ईसीएल कोल धारक क्षेत्र का (अर्जन एवं विकास) अधिनियम की धारा9 (1)के तहत भू अर्जन 2015 में हो गया है लेकिन इन सात सालों में किसानों का मुआवजा का निर्धरण नहीं हो सका है। कोल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण कृषि भूमि का खरीद बिक्री और डायवर्सन पर भी पाबंदी है। दुर्गापुर खुली खदान परियोजना के प्रभावित किसान और बंग समाज कल्याण समिति के प्रतिनिधी आशीष विश्वास, दीपक मंडल, मुन्ना माली, अधीर विश्वास, बयासी सरपंच जगधर राठिया , दुर्गापुर सरपंच, उपसरपंच, दीपक कुमार , क्षेत्र के किसान महावीर बैरागी, विश्वजीत, सहित अन्य ग्रामीणों ने धरमजयगढ़ विधायक लालजीतसिंह राठिया से मुलाकात कर क्षेत्र की समस्याओं और मांगो से उन्हें अवगत कराया है। साथ ही मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन से मुलाकात का समय भी मांगा है।उक्त संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता दीपक मंडल ने बताया कि इस क्षेत्र के किसान पूरी तरह कृषि कार्य पर ही निर्भर हैं। इस क्षेत्र के  किसान एक वर्ष में तीन फसलों का उपज लेकर क्षेत्र में उन्नत कृषि पद्धति की मिसाल कायम कर रहे हैं। इस क्षेत्र के किसान कृषि कार्य के साथ साथ पशु पालन , मुर्गी पालन  अन्य व्यवसायिक व लघु उद्योग आदि का संचालन करना चाहते है। परंतु उक्त क्षेत्र के भूमि का व्यपवर्तन  नहीं होने के कारण उक्त क्षेत्र में कोई विशेष कार्य लघु उद्योग आदि शुरु कर पाना संभव नहीं हो रहा है। इसलिए उक्त क्षेत्र की कृषि भूमि का डायवर्सन प्रक्रिया की अनुमति प्रदान करने की मांग तथा दोनों हलकों 1980 से कृषि भूमि की खरीदी बिक्री पुनर्वास ग्राम होने के कारण नहीं हो पाया है। जिस कारण उक्त क्षेत्र के कृषी भूमि का बजार मूल्य बहुत काम दर्ज है। तथा पिछले कई वर्षों से उक्त हल्का नंबर 33 व 36 के बजार मूल्य में शासन स्तर पर भी कोई वृद्धि नहीं किया गया है। जबकि आस पास के अन्य कृषि भूमि के बजार मूल्य में प्रति वर्ष लगभग 10 प्रतिशत शासन स्तर पर भी वृद्धि किया जाता रहा है। जिस कारण शासन द्वारा निर्धारित भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 से उक्त हल्का नंबर 33 व 36 के बाजार मूल्य बहुत ही कम है। जिससे शासन को राजस्व हानि हो रहा है साथ किसानों को उचित मुआवजा का निर्धरण नहीं हो पा रहा है। इस लिए वर्तमान समय में उक्त क्षेत्र का मुल्याकन  कर 100 प्रतिशत बजार मूल्य में वृद्धि करने एवं किसानों को उचित मुआवजा प्रति एकड़ 30-40  लाख रुपए देने की मांग कर रहे हैं। और एस‌ईसीएल की प्रक्रियाधीन दुर्गापुर खुली खदान परियोजना के किसनो को प्रति एकड़़ 30 से 40 लाख रुपए मुआवजा का निर्धरण नहीं होने पर दुर्गापर  खुली खदान परियोजना को निरस्त हेतु आवश्यक कार्यवाही करने की मांग कर रहे है।वहीं दीपक मंडल ने बताया कि क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक लालजीतसिंह से मुलाकात के दौरान  धरमजयगढ़ विकास खण्ड के शहरी क्षेत्र धरमजयगढ़ कालोनी वार्ड क्रमांक 1, शाहपुर कालोनी वार्ड क्रमांक 2, ग्रामीण क्षेत्र बायसी कालोनी, दुर्गापुर कालोनी , प्रेमनगर और मेडारमार में सन 1955/56/सन1970/71 से भारत सरकार के पुनर्वास विभाग द्वारा बंगाली विस्थापित परिवारों को बसाया गया था। जिनके रहवास व जीवन यापन करने हेतु लगभग 6 सौ से अधिक परिवार को  भारत सरकार द्वारा आबादी भूमि आबंटित किया गया है। जिस आबादी भूमि पर आज पर्यन्त तक लोग अपने परिवार सहित काबिज है। वर्तमान समय में उक्त क्षेत्र के आबादी भूमि में काबिज परिवारों को भू स्वामी अधिकार प्रदान करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने मांग भी किया गया है।  उक्त संबंध में विधायक लालजीतसिंह राठिया ने मुख्यमंत्री कार्यालय से किसानों के साथ मुख्य मंत्री छत्तीसगढ़ शासन भूपेश बघेल से मुलाकात का समय मांगा है ।

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