जेनेवा। अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत कायम होने को लेकर भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा है कि भारत की अध्यक्षता में अफगानिस्तान को लेकर पारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव ‘स्पष्ट रूप से’ यह बताता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग किसी भी राष्ट्र को धमकाने, हमला करने, आतंकवादियों को शरण देने या प्रशिक्षित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, और यह ‘भारत के लिए प्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण’ है। श्रृंगला ने कहा कि सुरक्षा परिषद का बयान अफगानिस्तान को यह बताता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उससे कितनी उम्मीदें हैं। श्रृंगला इस वक्त भारत की अध्यक्षता में होने वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठकों के सिलसिले में न्यूयॉर्क में हैं। भारत की अध्यक्षता 31 अगस्त को खत्म हो गई है। सोमवार को अफगानिस्तान को लेकर हुई सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘कहने की जरूरत नहीं है कि प्रस्ताव को स्वीकार करना अफगानिस्तान के संबंध में सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं को लेकर एक मजबूत संकेत है।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे विशेष रूप से अफगानिस्तान को लेकर आज पारित हुए महत्वपूर्ण प्रस्ताव के दौरान भारत के सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष होने पर बहुत खुशी हुई, जिसने स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया है कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग किसी भी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने, प्रशिक्षण देने या आतंकवाद की योजना बनाने या वित्तपोषित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (संकल्प) 1267 द्वारा नामित आतंकवादी व्यक्तियों और संस्थाओं को रेखांकित किया गया है। यह भारत के लिए प्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण है।’ अमेरिका को दो दशक तक चले युद्ध के बाद 31 अगस्त तक अपने सैनिकों को पूरी तरह से अफगानिस्तान से वापस बुलाना था, लेकिन इससे दो सप्ताह पहले 15 अगस्त को ही तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया। इसके चलते अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर संयुक्त अरब अमीरात चले गए अफगानिस्तान सरकार के गिरने के बाद काबुल में अराजकता फैल गई। हजारों लोग देश छोड़ने की जीतोड़ कोशिश में लगे हुए हैं।
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने सोमवार को अफगानिस्तान को लेकर सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव पेश किया था। परिषद के 13 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया, जिसके बाद इसे पारित कर दिया गया। परिषद के स्थायी सदस्य रूस और चीन मतदान से दूर रहे। प्रस्ताव में कहा गया है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग किसी भी देश को धमकाने, हमला करने, आतंकवादियों को शरण देने, प्रशिक्षित करने, आतंकवादी कृत्यों की योजना बनाने या वित्तपोषित करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। प्रस्ताव में अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व को दोहराया गया है।इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (संकल्प) 1267 द्वारा नामित आतंकवादी व्यक्तियों व संस्थाओं और तालिबान की प्रासंगिक प्रतिबद्धताओं को रेखांकित किया गया है।
प्रस्ताव में तालिबान द्वारा 27 अगस्त को जारी किए गए बयान पर गौर किया गया, जिसमें संगठन ने इस बात को लेकर प्रतिबद्धता जताई थी कि अफगानिस्तान के लोग विदेश यात्रा कर सकेंगे, वे जब चाहें अफगानिस्तान छोड़ सकते हैं और वे दोनों हवाई एवं सड़क मार्ग से किसी भी सीमा से अफगानिस्तान से बाहर जा सकते हैं, जिसमें काबुल हवाई अड्डे को फिर से खोलना तथा उसे सुरक्षित करना शामिल है, जहां से कोई भी उन्हें यात्रा करने से नहीं रोकेगा। श्रृंगला ने कहा कि प्रस्ताव मानवाधिकारों, विशेष रूप से अफगान महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के साथ-साथ समावेशी बातचीत और अफगानिस्तान को मानवीय सहायता को देते रहने के महत्व को भी मान्यता देता है। उन्होंने कहा कि ये प्रस्ताव के कुछ प्रमुख पहलू हैं जिन पर भारत ने प्रकाश डाला है। इस महीने भारत की अध्यक्षता में, सुरक्षा परिषद ने अफगानिस्तान को लेकर 3, 16 और 27 अगस्त को तीन प्रेस वक्तव्य जारी किए हैं।