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ढोढ़ागांव के ग्रामीण इक्कीसवीं सदी में भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर, सरपंच-सचिव ने शौचालय के नाम पर किया लाखों का वारा-न्यारा

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धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़।
रायगढ़ जिले के विकास खण्ड धरमजयगढ़ के कई ग्राम पंचायतों को अनन-फ ानन में कागजों में ओडीएफ घोषित करने का मामला प्रकाश में आया है। जहाँ के सरपंच सचिव स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बनाये जाने वाली शौचालय को बिना निर्माण कराये ही लाखों रूपये का बंदर बांट कर मालामाल हो गये हैं। ग्रामीणों के शौचालय निर्माण की राशि का खुलेआम दुरूपयोग किया गया है। ग्रामीणों को शासन से मिलने वाली शौचालय ही मौके से गायब हैं। और यदि किसी का शौचालय बनवाकर दिया भी गया है। तो वह आधा अधूरा निर्माण किया गया है। शौचालय निर्माण पूर्ण नहीं होने के कारण ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। आज हम बात कर रहे हैं जनपद पंचायत धरमजयगढ़ के ग्राम पंचायत ढोढ़ागांव की जो कि चारों तरफ से घने जंगलों से घिरा हुआ है। ढोढागांव की तस्वीर देख कर आप स्वयं समझ सकते हैं। किस कदर सरपंच, सचिव ने ग्रामीणों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से ग्रामीणों को वंचित कर दिए हैं। जिसे लेकर ग्रामीण इन दिनों तमाम असुविधाओं से उबरने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। हमारे रिपोर्टर ने गांव का पड़ताल किया तो सच्चाई सामने आ गई कि ग्राम पंचायत ढोढ़ागांव के अधिकत्तर घरों में शौचालय निर्माण हुआ ही नहीं है। अगर निर्माण किया भी गया है, तो किसी का छत नहीं है तो किसी में दरवाजा नहीं लगा हैं तो किसी में सीट नहीं है। अब बिना छत और बिना दरवाजे के शौचालय में ग्रामीण शौच के लिए जाएं तो कैसे जाएं। सरपंच सचिव को शौचालय निर्माण पूरा कराने के लिए कहने पर सरपंच सचिव कोई जवाब नहीं देते हैं। इनकी मानमानी तो देखिए जो मजदूर और राज मिस्त्री शौचालय निर्माण में काम किए हैं उनका भी राशि का भुगतान नहीं किया है। मनरेगा तहत निर्माण कराये गये कुआं में कार्य किये गये मजदूरों का भी राशि भुगतान नहीं किया है। ग्रामीणों ने बताया कि सचिव हबिल एक्का ग्राम पंचायत मुख्यालय में नहीं रहता है। कभी कभार ग्राम पंचायत मुख्यालय में आता है। जिसके कारण ग्रामीणों को जन्म, मृत्यु पंजीकरण काराने तथा आय, जाति, निवास प्रमाण, पत्र बनवाने में बहुत ही ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गांव के जो विधवा महिला हैं उन्हें न तो विधवा पेन्शन मिलता है और ना ही वृद्धा पेन्शन मिलता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शासन-प्रशासन द्वारा क्या कुछ कार्यवाही की जाती है। या भ्रष्ट सरपंच-सचिवों को यूं ही भ्रष्टाचार करने में संरक्षण दिया जाता रहेगा इसे तो वक्त ही तय करेगा।

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