सारंगढ़-जोहार छत्तीसगढ़
एंकर- प्रदेश सरकार भले ही गरीबों को प्रधानमंत्री आवास दिलाकर लाभांवित कराने का दावा कर रही है, परंतु अभी भी बड़ी संख्या में गरीब परिवार बारिश के महीने में पुराने मकानों में जान हथेली पर रखकर रहने को मजबूर हैं। तो कही मुक्तिधाम में रहने को मजबूर बारिश से बचने के लिए गरीब परिवारों को पन्नी का सहारा लेना पड़ रहा है। तो कही मुर्दे जलाने के बसेरे में रह रहे है। फिर भी सरपँच सचिव के कान में जू तक नही रेंग रहे है। सारंगढ जनपद के ग्राम पंचायत जेवरा में एक गरीब परिवार 2 बच्चों के साथ मुक्तिधाम शेड में रहने को मजबूर है दरअसल परिवार का नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में है। लेकिन 8 से 10 वर्षो से नही मिला आवास का लाभ इस कारण परिवार समेत मुक्तिधाम में रहने को मजबूर है। महंगू सारथी ने बताया को 2 चुनाव कार्यकाल गुजर गया , जो भी सरपँच बनता है आएगा आएगा कहते रहता है मैं बहुत परिशान हु मेरा राशन कार्ड है लेकिन नाम नही जुड़ने के कारण 20 किलो चावल ही मिलता है ।
वही बता दे आपको कि प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुवात प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी ने 22 जून 2015 में की थी इस योजना का मुख्य उद्देश्य 2022 तक हर व्यक्ति को घर देना है। लेकिन इस योजना का फायदा उन व्यक्तियों को होगा जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग मध्यम वर्ग से है अथवा जिसके पास स्वयं का घर नही है उनको घर दिलवाया जाएगा । लेकिन ये योजना खोखला साबित हो रहा है ये हम नही कह रहे बल्कि सारंगढ जनपद क्षेत्र के ग्राम पंचायत जेवरा में महंगू सारथी ताजा उदाहरण है। जो मुक्तिधाम में रह रहे है। देखिए अपनी दर्द को कैसे बया कर रहे है यह ग्रामीण।