भोपाल । कोरोना संक्रमण काल के कई चीजों पर साइड इफेक्ट हुए हैं। कुछ ऐसा ही साइड इफेक्ट देखने को मिल रहा है। बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के माध्यम से रोजगार के मौके मुहैया कराने के उद्धेश्य से प्रदेश सरकार की ओर से संचालित हो रही योजनाओं पर। बेरोजगारों को लोन देने वाली ये योजनाएं अप्रैल-2020 से ही बंद हैं।
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना और मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का लाभ लेने के लिए बेरोजगार युवा काफी समय से जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र (डीआइसी) के चक्कर लगा रहे हैं, पर उनके हाथ निराशा ही लग रही है। यहां तक कि एमपी ऑनलाइन के जरिए इन योजनाओं में आवेदन के लिए बनाया गया स्वरोजगार पोर्टल भी बंद है। हालांकि अधिकारी जुलाई माह में इनके शुरू होने की संभावना जता रहे हैं, सरकार जल्द से जल्द इनकी शुरूआत करे ताकि कोरोना की मार झेल रहे बेरोजगार अपने पैरों पर खड़े हो पाएं।
किस योजना में कितना मिलता है लोन
गौरतलब है कि युवाओं को स्वरोजगार के लिए सरकार कई योजनाएं शुरू किया है। इन योजनाओं के तहत युवाओं को स्वरोजगार के लिए लोन मिलता है। स्वरोजगार योजना के तहत 18 से 45 साल के युवाओं को 50 हजार से 10 लाख लोन का प्रावधान है। वहीं 18 से 40 साल के युवाओं युवा उद्यमी योजना के तहत 10 लाख से 2 करोड़ रूपए के लोन का प्रावधान है। लेकिन फिलहाल इनका लाभ नहीं मिल रहा है।
2015 में शुरू की थीं योजनाएं
प्रदेश सरकार ने राज्य के बेरोजगार युवकों के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना और मुख्यमंत्री कृषक उद्यमी योजना शुरू की थी। ये सभी योजनाएं वर्ष 2015 में शुरू की गई थीं।
फंड की कमी, एनपीए का डर
जानकारों का मानना है कि कोरोना संक्रमण काल के बाद पिछले डेढ़ साल में हर जगह फंड की कमी हुई है। सरकार पर भी फंड की कमी हुई है, शायद यही कारण है कि सरकार युवाओं की इन योजनाओं को शुरू नहीं कर रही है। इसके साथ ही सरकार को ऐसे माहौल में एनपीए का डर भी सता रहा है, इसके चलते लोन देने की शुरूआत नहीं की गई है।
योजनाओं में टारगेट मुताबिक मिलता है लोन
उद्योग विभाग हर वित्तीय वर्ष में दोनों योजनाओं का लक्ष्य निर्धारित करता है। जिला उद्योग केंद्र योजनवार मिले टारगेट अनुसार विज्ञापन जारी करते हैं। फिर एमपी ऑनलाइन से लोन के लिए आवेदन मंगवाए जाते हैं, जिन्हें जिला उद्योग केंद्र बैंकों को भेजता है। बैंक आवेदक की प्रोजेक्ट फाइल, शैक्षणिक योग्यता और अन्य दस्तावेज के आधार पर लोन देने के बारे में निर्णय करते हैं। लोन मंजूर होने पर राशि आवेदक के बैंक खाते में आ जाती है।