बिलासपुर । रायल्टी पर जीएसटी के तहत सेवा कर मांगने के समंस और संशोधित अधिसूचना को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिका के साथ अंतरिम राहत की भी मांग की गई है। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से जवाब आने के बाद अंतरिम राहत पर फैसला दिया जाएगा। बहरहाल दोनों मामले पर सरकार को चार सप्ताह में जवाब देना है।
श्रीशिवम मिनरल्स के श्याम सुंदर जाजोदिया और छपारिया मिनरल्स के संजय छपारिया ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ताओं के तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा और न्यायाधीश पीपी साहू की युगलपीठ में अपना पक्ष रखते हुए बताया कि याचिकाकर्ता गिट्टी तैयार करने की क्रेशर मशीन का संचालन करते हैं।
उनके पास लो ग्रेड चूना पत्थर के खनन की लीज है। चूना पत्थर निकालने के लिए वह रायल्टी पटाते हैं, जो खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर एक्ट) के तहत होता है। रायल्टी को केंद्र सरकार माल और सेवा कर अधिनियम 2017 (जीएसटी) के तहत सर्विस मान रही है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इस टैक्स पर टैक्स नहीं लिया जा सकता है।
सुनवाई के बाद युगलपीठ ने केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय और राज्य सरकार के वाणिज्यकर विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका के साथ अंतरिम राहत की भी मांग की गई है। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से जवाब आने के बाद अंतरिम राहत पर फैसला दिया जाएगा। बहरहाल दोनों मामले पर सरकार को चार सप्ताह में जवाब देना है।