भोपाल । बिजली उपभोक्ताओं को इस महीने बिलों को देखकर काफ ी झटके लग रहे हैं, ऐसे में वे कहीं मीटर तो कहीं मीटर वाचकों पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए खुद उनके घर की खपत ही जिम्ममेदार है, जिसपर उनकी नजर नहीं जा रही हैं।
दरअसल मार्च महीने तक 90-99 यूनिट तक कुल 100 रूपए देने वाले कुछ उपभोक्ताओं का बिल अपै्रल से अचानक 900 रूपए से अधिक आया तो उन्हे हजम नहीं हुआ और उन्होने बिजली विभाग को ही अधिक बिल के लिए जिम्ममेदार ठहराया। लेकिन असल में बिजली बिल के टैरिफ के लिए औसत दैनिक खपत असर डालती है, इसमें कभी कभी मीटर वाचकों के द्वारा समय असमय ली गई रीडिंग भी जिम्ममेदार हो जाती है। हालांकि एक सी नियमित खपत के चलते मीटर वाचक द्वारा 25 से 30-32 दिन में भी ली गई खपत बिजली बिल के परिणाम पर ज्यादा असर नहीं डालती। लेकिन घरो में तीन सप्ताह सामान्य खपत एवं एक सप्ताह अधिक खपत करने के बाद ली गई रीडिंग से बिलों में फर्क पड़ता हैं।
गर्मी के कारण बढ़े बिल
अपै्रल मई महीने में गर्मी बढ़ी और लोग घर पर लॉक डाउन के कारण रूके तो बिल मई एवं जून में बिल बढकर आए। जिसे उपभोक्ता समझ नहीं पा रहे है। कि सौ यूनिट तक 100 रूपए दिया लेकिन 40-50 यूनिट तक और बढऩे पर डेढ सौ की जगह 1000 रूपए बिल कैसे आ गया। दरअसल पूरा खेल इंदिरा गृह ज्योति योजना का है जिसमें उसी उपभोक्ता को फ ायदा मिलेगा जो पूरे महीने बचत कर सकता होगा। जिस उपभोक्ता के घर महीने भर में 150 यूनिट से अधिक खर्च आ रहा है वह अपने मौजूदा घरेलू संसाधनों के कारण धनाडय माना जा सकता है और वह बिजली की नियमित दरों के अनुसार ही बिजली बिल देने योग्य माना जाता है।