बिलासपुर । ज्ञात हो कि कल से मोती थारवानी की गिरफ्तारी को लेकर मामले में बवाल मचा हुआ है जिसमे नगर विधायक शैलेष पांडेय व्यथित होकर अपने समर्थकों के साथ थाने पहुंच गए उससे इस मामले में अब नया मोड़ आ गया है तथा मामला अब तूल पकड़ता दिख रहा है और विधायक पांडेय ने पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल को खत लिख कर निष्पक्ष जांच की मांग की है तथा दोनो पक्षों को सुनकर ही कारवाही की मांग की है।
वही सिंधी समाज भी अब मोती थारवानी के पक्ष में उतर गया है विश्वसनीय सूत्रों से खबर मिली है कि सिंधी समाज के वरिष्ठजन और युवा समिति के सभी पदाधिकारियों ने आज बैठक रखी जिसमे कल सोमवार को एस .पी. को निष्पक्ष जांच के लिए ज्ञापन समाज की तरफ से सौंपा जाएगा और मोती थारवानी पर किसी भी तरह की ज्यादती होने पर पूरा समाज एक जुट होकर इसका विरोध करेगा वही दूसरी तरफ जिस ट्रैफिक पुलिस कर्मी को प्रार्थी बनाया गया है उसका एक वीडियो सोशल मीडिया में बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है जिसमे उक्त ट्रैफिक पुलिस कर्मी एक निर्माणाधीन मकान को तोड़ रहा है और गाली गलौच करते हुए मारपीट कर रहा है लेकिन उस वीडियो की जनहित न्यूज़ पुष्टि नहीं करता पर उसे आधार बना कर पुलिस की बर्बरता का उलेख किया जा रहा है।
व्यथित विधायक ने पुलिस कप्तान को लिखा पत्र…
सम्मानीय पुलिस अधीक्षक श्री पृशांत अग्रवाल जी
क्या यही है पुलिस का राजकुमार ? क्या एसे होते है कानून के रखवाले, बेगुनाह गरीबों पर अत्यचार करने वाले।शान्ती और अमन के बिलासपुर मे यही आपकी पुलिस कर रही है। इस आरक्षक जिसके लिये पुलिस पूरे बचाव मे दिख रही है अपने पुलिस वाले की गंदी कर्तुतों को छुपाने का कार्य कर रही है जो सरे आम जनता से गंदी गंदी गालियां दे रहा है ये वही आरक्षक है जिसने हमारे साथी मोती थावरानी से उसकी पत्नी के सामने गलियां दिया लेकिन कानून ने केवल मोती को ही आरोपी बनाया क्यों ? इस आरक्षक को देख कर नही लगता है कि इसने मोती को गाली नही दिया होगा फिर पुरा वीडियो जनता के सामने क्यों नही लाया गया केवल वही हिस्सा जिसमे मोती ने गाली दिया उतना ही क्यों दिखाया गया ? ये आरक्षक अगर शराब के नशे मे था तो उसका डॉक्टरी मूलयजा क्यों नही करवाया गया ? थाना सिविल लाईन मे जब समझौता हुआ तो उसके कागज कहां गये ?
दामिनी ( मोती थारवानी की पत्नी ) की शिकायत क्यों नही लिया और उस पर कार्यवाही क्यों नही किया गया। उसके छोटे भाई क्यों पुलिस की दहशत से थाने से डर के मारे क्यों चले गये उनकी बात क्यों नही सुनी गयी ?
उक्त बाते और वीडियो पुलिस की कारवाही पर अविश्वास पैदा करती है। और ये वर्दी वाले गुंडे अगर इसी तरह कार्यवाही करते गये तो शहर मे पुलिस का आतंक हौ जायेगा।
मोती की गलती है तो उसपर पुलिस ने कार्यवाही किया लेकिन कार्यवाही एक पक्षीय दिख रही है सभी को पुलिस सम्मान करना चाहिये मै भी मानता हुँ इसलिये मोती की गलती पर खेद व्यक्त करता हुँ लेकिन पुलिस ने भी न्याय नही किया।।मोती कोई अद्तन अपराधी नही है शहर का कोई गुण्डा नही है एक कांग्रेस का कार्यकर्ता है और समाज सेवी है उस पहलू को शायद पुलिस भुल गयी है या उसको देखना नही चाहती है। और ये वीडियो आरक्षक के व्यव्हार का एक ठोस सबूत है। फिर अन्याय क्यों हुआ ?