भोपाल । अवैध कॉलोनियों को बिजली कंपनी केवल अस्थाई कनेक्शन दे रही है। यह कनेक्शन कॉलोनाइजरों के नाम पर दिया जाता है। कॉलोनी के अंदर बिजली की आपूर्ति कॉलोनाइजरों को करनी होती है। बिजली कंपनी वैध कॉलोनी में जो बिजली कनेक्शन देती है उसके छह से साढ़े छह रुपये प्रति यूनिट लिए जाते है, जबकि अवैध कॉलोनियों में कॉलोनाइजर उपभोक्ताओं से एक से डेढ़ स्र्पये अधिक वसूल रहे हैं। उपकरण मापदंड के अनुरूप व जरूरत के हिसाब से नहीं लगाए है। इसके कारण लो वोल्टेज की समस्या है। कॉलोनाइजरों ने अलग से बिजलीकर्मियों की तैनाती नहीं की है, इसलिए समय पर बिजली की आपूर्ति ठीक नहीं हो पा रही है। आपूर्ति बंद होती है तो समय पर बहाल नहीं की जा रही है। उपकरण अच्छी गुणवत्ता के और जरूरत के हिसाब से नहीं लगे हैं, इसलिए लो वोल्टेज की समस्या है। ऐसी अवैध कॉलोनी में रहने वाले उपभोक्ता बिजली कंपनी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। रोजाना 500 से अधिक शिकायतें मिल रही हैं। इन शिकायतों से मप्र मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधिकारी त्रस्त हो चुके हैं। कंपनी की तरफ से आम जनों के लिए सलाह जारी कर दी है। कहा है कि शहर की कॉलोनियों में मकान, दुकान खरीदने से पहले बिजली कंपनी से पूछ लें कि कॉलोनी वैध है या नहीं। कुछ कॉलोनाइजरों ने कृषि भूमि पर मकान बनाकर कॉलोनिया तान दी है।
दुकानें बनाकर बेची है। खाली प्लाट भी काटकर बेचे है। इस तरह कृषि भूमि पर लोग बसते गए। कॉलोनाइजरों को नियमानुसार उक्त कृषि भूमि का डायवर्सन करवाना था। फिर नगर निगम, टीएंडसीपी समेत अन्य एजेंसियों से कॉलोनी बनाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अनुमतियां लेनी थी। ऐसा करते तो बिजली कंपनी अपनी तरफ से उक्त कॉलोनियों में बिजली आपूर्ति खुद करती, लेकिन कॉलोनाइजरों ने डायवर्सन नहीं कराया है इसलिए बिजली कंपनी नियमित सप्लाई नहीं दे पा रही है। अवैध कॉलोनियों में बिजली उपकरण लगाने, तार खींचने, पोल लगवाने, ट्रांसफार्मर लगवाने की व्यवस्था कॉलोनाइजरों को करनी होती है। बिजली कंपनी के प्रवक्ता मनोज द्विवेदी व अन्य अधिकारियों का कहना है कि 300 कॉलोनियों में कॉलोनाइजरों ने ठीक से तार नहीं खींचवाए, पोल की संख्या कम है। ट्रांसफार्मर जरूरत के हिसाब से कम लगवाएं है इसलिए रहवासियों को परेशान होना पड़ रहा है। कंपनी ने कॉलोनियों को वैध करवाने की सलाह दी है। इसके बाद ही कंपनी सही तरीके से बिजली की आपूर्ति कर पाएगी।