भोपाल । मांगें पूरी नहीं होने से नाराज प्रदेश के सरकारी कर्मचारी सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं। कुछ कर्मचारी संगठनों ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर करने की चेतावनी भी दी है। जबकि मध्यप्रदेश कर्मचारी कांग्रेस, मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ समेत अन्य संगठन विरोध जता चुके हैं। महंगाई भत्ता और वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिलने से मध्य प्रदेश के कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ गई है। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिलना है। बीते साल यह लाभ मिलना था लेकिन कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए उक्त लाभ को देने से उस समय मना कर दिया था। अब स्थिति सामान्य हुई है तो कर्मचारी वेतन वृद्धि की मांग कर रहे हैं लेकिन इस पर शासन की तरफ से अब तक लाभ देने की बात साफ तौर पर नहीं कही है।
पेट्रोल व डीजल लगातार महंगा हो रहा है दफ्तर आने जाने में आम नागरिकों की तरह कर्मचारियों का खर्च भी बढ़ गया है। कर्मचारियों को महंगाई भत्ता और वाहन भत्ता नहीं मिल रहा है जबकि केंद्र के कर्मचारियों को यह लाभ मिल रहा है। राज्य के कर्मचारियों का कहना है कि जो लाभ दिया जा रहा है वह बढ़ी हुई महंगाई के दौर में काफी नहीं है। कर्मचारी कांग्रेस के संरक्षक और पूर्व सदस्य मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी आयोग वीरेंद्र खोंगल ने दावा किया है कि अनुकंपा नियुक्ति के 10,000 से अधिक प्रकरण लंबित है। 2018 के बाद से कर्मचारियों की छोटी-छोटी मांगों का निराकरण नहीं हो पाया है। जैसे भ्रत्यों का पद नाम बदलना, बचे दैनिक वेतन भोगियों को नियमित करना, इस बात से कर्मचारी चिढ़े हुए हैं।अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण बड़ी संख्या में लंबित है। यह प्रकरण कोरोना संक्रमण के पहले के हैं इन पर शासन की तरफ से तीव्र कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस बात से कर्मचारी संगठनों में मायूसी है। इसका असर कई परिवारों पर पढ़ रहा है।