भोपाल । प्रदेश में श्री सिंगाजी पावर प्लांट की दो इकाइयों के बंद रहने से बिजली कंपनी को करीब 757 करोड़ रुपए का नुकसान हो गया। प्लांट तकनीकी खामी के कारण सात माह से बंद थे। ऐसे में कंपनी को मिलने वाले नियत प्रभार की राशि में कटौती हुई। जो 757 करोड़ है। इतना ही नहीं प्रदेश को उत्पादन में कमी को दूर करने के लिए निजी प्लांट से महंगी बिजली खरीदनी पड़ी सो अलग।
मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी द्वारा 7700 करोड़ रुपये की लागत से खंडवा में श्री सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट स्थापित है। इसकी दोनों यूनिट से हर महीने 1320 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। इस संबंध में सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य अभियंता राजेंद्र अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें इसकी जवाबदेही तय करने की मांग की है। राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि इस प्लांट में इकाई क्रमांक तीन में टरबाइन टूटने की पूरे विश्व में अनोखी घटना हुई।
वास्तविक उपलब्धता मात्र 38.78 फीसदी
मप्र ऊर्जा नियामक आयोग ने 17 मई को जारी आदेश में सिंगाजी विद्युत चरण दो के लिए 1392 करोड़ की राशि वित्त वर्ष 2020-21 में वार्षिक फिक्स चार्ज के रूप में निर्धारित की है। बिजली घर को न्यूनतम 85 फीसदी औसत क्षमता पर उपलब्ध रहने पर मिलता है। किंतु तकनीकी खराबी के कारण वास्तविक उपलब्धता मात्र 38.78 फीसदी रही है। अत: बिजली घर को इस वजह से मात्र 635 करोड़ रुपए ही मिले। इस वजह से 757 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इसकी जवाबदेही तय की जानी चाहिए। उन्होंने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए स्वतंत्र एजेंसी को नियुक्त करने की मांग उठाई।
क्या है नियत प्रभार
पावर प्लांट के उत्पादन क्षमता के अनुसार फिक्स चार्ज तय होता है। जिसे वितरण कंपनी भुगतान करती है। बिजली खरीदी करे या नहीं इसका भुगतान करना होता है। अब यदि प्लांट में तकनीकी खराबी आई है तो इसका नुकसान उत्पादक को उठाना होता है। यह नियत प्रभार हर साल मप्र ऊर्जा नियामक आयोग तय करता है।
तकनीकी खराबी से बंद उत्पादन
श्री सिंगाजी चरण दो की तीन और चार नंबर यूनिट अगस्त 2020 को टरबाइन टूटने के कारण बंद कर दी गई थी। इसमें तीन नंबर यूनिट इस साल 31 मार्च के बाद शुरू हो गई है, लेकिन चार नंबर यूनिट अभी भी बंद है। इस संबंध में मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के प्रबंध संचालक मंजीत सिंह से भी संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।