भोपाल । बीज विक्रेता अधिक मुनाफा कमाने के फेर में किसानों को उन्नत किस्म के नाम पर स्थानीय स्तर पर पैक किया गया सामान्य व अमानक बीज बेच रहे हैं। इसके अलावा बीज विक्रेताओं की दुकान से छत्तीसगढ़ व उत्तरप्रदेश के कई ऐसी ब्रांड के नाम पर बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिनका पहले नाम ही नहीं सुना गया है। भोले-भाले किसानों को उन्नत किस्म का नया बीज बताकर उनसे मनमानी कीमत वसूल की जा रही है। प्रदेश के कई जिलों के ग्रामीण अंचल तक की दुकानों पर यह मनमानी चल रही है। इन सबके बावजूद कृषि अधिकारी जांच से कन्नी काट रहे हैं। किसानों के साथ हो रही ठगी पर लगाम लग सके। इसके लिए कृषि अधिकारियों को युद्ध स्तर पर एक साथ कई टीमों का गठन कर जांच अभियान चलाना होगा।
विभागीय अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया तो जांच व सेंपलिंग की कवायद केवल खानापूर्ति तक सीमित होकर रह जाएगा। गौरतलब है कि वर्तमान में बीज, खाद व कीटनाशकों की जांच के लिए कृषि विभाग का दल सक्रिय है। जाहिर सी बात है कि इन दो दलों द्वारा पूरे जिले में जांच करना संभव नहीं है। अधिकारियों को जांच के दौरान विक्रेताओं को गोदामों पर भी विशेष नजर रखनी होगी।
थोक विक्रेताओं की कसी जाए नकेल
कृषि विभाग के अधिकारियों को फुटकर के साथ थोक विक्रेताओं पर अधिक नजर रखना होगा। क्योंकि दूसरे राज्यों व स्थानीय स्तर पर पैक किया गया बीज उन्हीं के द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। थोक विक्रेताओं पर नकेल कस ली गई तो फुटकर विक्रेताओं द्वारा मनमानी व अमानक बीज की बिक्री की संभावना कम हो जाएगी।
कलेक्टर को लेना होगा संज्ञान
किसानों के साथ बीज के नाम पर धोखा नहीं हो। इसके लिए खुद कलेक्टर को सक्रिय होना होगा। कृषि विभाग के जांच दल की सक्रियता व कार्रवाई की नियमित मॉनिटरिंग के जरिए ही बीज विक्रेताओं की मनमानी और किसानों के साथ हो रही धोखाधड़ी को रोका जा सकता है। इसके लिए देरी किसानों पर भारी पड़ेगी।