धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़।
वनमंडल धरमजयगढ़ क्षेत्र में हाथियों ने डेरा जमाए दो दशक हो गया। जहाँ इनकी जनसंख्या बढ़ती जा रही है। वहीँ प्राकृतिक रूप से ज्यादा अप्राकृतिक रूप से कई हाथियों की मौत भी हो चुकी है। जिसमें ज्यादातर हाथियों की मौत बिजली प्रवाहित तार के चपेट में आने से हुई है। 22 जून को भी धरमजयगढ़ वन मण्डल के छाल रेंज में मादा जंगली हाथी की करेंट लगने से मौत हो गई। जिसकी पुष्टि विभाग के सीसीएफ और डॉक्टरों की टीम ने की। पोस्टमार्टम के बाद डॉक्टर ने बताया कि हाथी के कान के ऊपर करंट से जलने के निशान हैं। वहीं अंदर के अंगों में भी करंट से मौत होना दिख रहा है। ग्रामीणों ने सुबह मृत हाथी को देखकर वन विभाग को इसकी सूचना दी थी। क्षेत्र में हो रही लगातार हाथियों की मौत को लेकर विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। जिसमे बताया जा रहा है कि विभाग के पास इस मादा हथिनी के लोकेशन की कोई जानकारी नही थी। बताते चलें कि वनमंडल धरमजयगढ़ में जंगली हाथियों का कई दल अलग अलग रेंज में घूम रहा है। लेकिन वन विभाग अभी तक कोई ठोस पहल नहीं कि है जिससे हाथियों को एवँ उनसे जनता को हो रहे नुकसान से बचाया जा सके। जिससे आए दिन हाथियों की मौत की खबर आती रहती है। ऐसे में इन बेजुबान जंगली हाथियों की मौत पर विभाग अब सवालों के घेरे में है।