रायपुर,। वर्तमान में कोरोना महामारी के समय योग का अधिक से अधिक अभ्यास करें, इससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और हम संक्रमण से मुक्त रहेंगे। कोरोना काल में योग और प्राकृतिक चिकित्सा का महत्व सिद्ध हुआ है। जिन लोगों ने नियमित रूप से योग किया है और प्राकृतिक चिकित्सा का उपयोग किया उनमें रोगप्रतिरोधक क्षमता अच्छी रही है और संक्रमण से कम प्रभावित हुए हैं। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज इंटरनेशनल नेचुरोपैथी आर्गेनाईजेशन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
राज्यपाल ने कहा कि भारत का गौरवशाली अतीत रहा है। हजारों वर्ष पहले हमारे पूर्वजों ने हमें जो अनेक बहुमूल्य निधियां प्रदान की है, उनमें योग महत्वपूर्ण है। भारतीय चिंतन में शरीर की ही नहीं बल्कि मन और आत्मा की उन्नति पर भी बल दिया गया है। योग, मन की शांति का सर्वोत्तम उपचार है। योग का मतलब है अपनी शक्तियों को जानना, समझना और इसे सही तरह से काम में लेना। उन्होंने कहा कि यह भी कहा गया है कि चित्तवृत्तियों का निरोध ही योग है। जो भी व्यक्ति, निरोग और सुखी जीवन जीना चाहता है उनके लिए योग जरूरी है। आज योग के महत्व को पूरी विश्व ने स्वीकार कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का निर्णय लिया। तब से हर वर्ष 21 जून को योग दिवस का आयोजन किया जाता है।
सुश्री उइके ने कहा कि आधुनिक जीवनशैली के कारण कई तरह के अवसाद एवं बीमारियां भी बढ़ी हैं। ऐसे में योग के माध्यम से रोगमुक्त एवं स्वस्थ जीवन की प्राप्ति सहज होती है। वैज्ञानिक शोधों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि प्राणायाम कई बीमारियों में कारगर हैं।
राज्यपाल ने कहा कि योग हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सक्षम है। आसन एवं प्राणायाम के माध्यम से हमें अपनी आंतरिक ऊर्जा का बोध होता है। योग सिर्फ शरीर को ही स्वस्थ नहीं रखता, बल्कि यह चित्त को भी शांत रखता है। साथ ही तनाव और मानसिक अवसाद से मुक्ति दिलाता है। इनके नियमित अभ्यास से सकारात्मक विचारों का प्रवाह होता है और मनुष्य अज्ञात भय, आशंका और नकारात्मक विचारों से मुक्त रहता है। इससे वह प्रसन्न रहता है, जिससे उनमें रोगों से लड़ने की क्षमता में भी बढ़ोत्तरी होती है। परिणामतः वह हमेशा स्वस्थ और प्रसन्न रहता है।