भोपाल । कोरोना के कमजोर पड़ते ही एक बार फिर रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी का दौर शुरू हो गया है। जून के 15 दिन (11 कार्य दिवस) में प्रॉपर्टी के हजारों सौदे पंजीबद्ध हो चुके। कोरोना की दूसरी लहर का असर निर्माण कार्यों पर भी सबसे अधिक पड़ा है। जहां रेरा में 25,000 करोड़ रूपए के प्रोजेक्ट पंजीयान के लिए अटके पड़े हैं। अगर सभी प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई होती तो रियल एस्टेट सेक्टर में और उछाल देखने को मिलती।
कोरोना काल में भी भारत के रियल एस्टेट कारोबार में प्राइवेट इक्विटी कंपनियों की तरफ से निवेश में अच्छी बढ़त देखने को मिली है। वित्त वर्ष 2020 के मुकाबले 2021 में ये निवेश 19 फीसदी बढ़ा है। इस निवेश में आधे से ज्यादा अमेरिका और कनाडा जैसे देशों से किया गया है।
घर की रजिस्ट्री कराना सबसे खर्चीला
मप्र में घर की रजिस्ट्री कराना अब भी देश में सबसे खर्चीला है, क्योंकि महाराष्ट्र और गुजरात की तुलना में यहां स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस लगभग दोगुनी है। बिल्डरों का कहना है कि अगर महाराष्ट्र और गुजरात की तरह यहां भी स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस कम रहती तो कोरोबार और अधिक होता।
रेरा में रजिस्ट्रेशन अटके, नहीं तो खरीदी-बिक्री में और आती तेजी
रेरा में रजिस्ट्रेशन अटके होने से प्रोजेक्ट में देरी हो रही है। मप्र में ही करीब 451 प्रोजेक्ट केवल रेरा से रजिस्ट्रेशन नंबर लेने के लिए अटके हैं। इस नंबर के बिना वह अपने प्रोजेक्ट में खरीदी-बिक्री भी नहीं कर पा रहे हैं, जबकि ग्राहक और बिल्डर दोनों तैयार हैं। देरी से नंबर मिलने पर प्रोजेक्ट में देरी होगी, जिससे लागत बढऩे से ग्राहकों को भी मकान महंगा मिलेगा।
गाइडलाइन पर अभी 30 तक सौदे की छूट
शासन द्वारा कोविड को देखते हुए पुरानी गाइडलाइन को 30 जून तक लागू करने की छूट दी है। 1 जुलाई से नई गाइडलाइन, जिसमें 20 फीसदी की बढ़ोतरी प्रस्तावित है, वह लागू होना है। हालांकि क्रेडाई ने शासन से मांग की है कि कोरोना को देखते हुए पूरे वित्तीय वर्ष 2021-22 में इस बार गाइडलाइन में बढ़ोतरी नहीं की जाए। ऐसा महाराष्ट्र व कुछ अन्य राज्य कर चुके हैं। इससे लोगों को राहत होगी। वहीं शासन की तरफ से महिलाओं के नाम प्रॉपर्टी खरीदने पर रजिस्ट्री में दो फीसदी की छूट जारी है।