भोपाल । मध्य प्रदेश में कोरोना संकट काल में हड़ताल का मौसम चल रहा है। अब ट्रक ऑपरेटर्स ने हड़ताल की धमकी दी है। लॉकडाउन के कारण भारी संकट झेल रहे ऑपरेटर्स ने पेट्रोल-डीजल के दाम पर लगाम लगाने की मांग की है वरना वो ट्रकों के पहिए जाम कर देंगे। मध्यप्रदेश के ट्रक, बस, टैक्सी परिवहनचालकों का कहना है डीजल की लगातार बढ़ती कीमतें देश और प्रदेश में भारी पडऩे लगी हैं। ट्रांसपोर्ट, बस, टैक्सी व्यवसाइयों को डीजल की कीमतें बढऩे की वजह से वाहन चलाना मुश्किल हो गया है। बचत जीरो हो गई है।
लॉकडाउन-2 के कारण व्यापार धंधे बंद हैं। ट्रक, बस और टैक्सी वाहनों के खर्चे और बैंक की किश्त चालू है। ऐसे में घर चलाना मुश्किल होता जा रहा है। केन्द्र और राज्य सरकार को पेट्रोल डीजल मूल्य वृद्धि पर लगाम लगाना चाहिए।
केवल 20 प्रतिशत बसें, 40 प्रतिशत ट्रक चल रहे
डीजल के भाव में लगातार हो रही बढ़ोतरी से बस और ट्रांसपोर्ट व्यापारी बेहाल हो गए हैं। हालात यह है कि अब इंदौर से केवल 20 प्रतिशत बसें और 40 प्रतिशत ट्रक ही चल रहे हैं। बस संचालक जहां टैक्स में छूट और किराए में वृद्धि की मांग कर रहे हैं। वहीं ट्रक ऑपरेटर डीजल को जीएसटी के दायरे में लाकर राहत की मांग रहे है। प्राइम रूट बस आनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने बताया कि पहले ही सवारियों की कमी है। उस पर लगातार भाव बढ़ रहे है। जब डीजल के भाव 67 रूपये थे, हम उस उस समय डेढ़ रूपये प्रति किलोमीटर का किराया बढ़ाने की मांग कर रहे थे। अब किराया बढ़ा है, तो भाव 96 रूपये हो गए है। अब कैसे संचालन करें। हमारी केवल 20 प्रतिशत बसें चल रही है। कई बस संचालकों ने अपनी अधिकांश बसें खड़ी कर दी है। इक्का दुक्का बसें चला रहे है। ताकि सालों से चल रहा खुद का ट्रेवल्स का नाम चलता रहे। अगर डीजल की कीमतों पर नियत्रंण नहीं हुुआ, तो बहुत जल्द चल रही बसें भी बंद हो जाएगी। फिर यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
अनुबंध वालों की मजबूरी
ट्रक आपरेटर एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएल मुकाती बताते हैं, हमारे ट्रक आपरेटरों की अलग मजबूरी है। हम लोगों के 60 प्रतिशत ट्रक खड़े है। लाकडाउन से व्यापार नहीं है। डीजल के भाव ने परेशान कर दिया है। मालभाड़ा बढ़ा नहीं सकते है। सबसे अधिक परेशानी हमारे उन साथियों की है, जिन्होंने बड़ी कंपनियों से अनुबंध कर रहा है। अब वे आधे साल में इसे छोड़ भी नहीं सकते है। अगर अनुबंध को बीच में खत्म किया जाए तो जुर्माना देना होता है, जो ट्रक चल रहे है वे इन्हीं लोगों के हैं।
मजबूरी में कम भाव में भी ले जा रहे
मुकाती बताते है, एक साल पहले 20 टन माल को मुंबई लेकर जाने के लिए पहले हम करीब 26 हजार रूपये का भाड़ा लेते थे। आज भी हम वहीं भाड़ा ले रहे है। उस समय डीजल करीब 70 रूपये था। अब 26 रूपये अधिक कीमत पर डीजल लेना पड़ रहा है, जबकि हर शहरों में अलग भाव है। कई जगह पर तो डीजल के भाव 100 रूपये तक पहुंचने वाले है।