भोपाल में शनिवार शाम तेज हवाओं के साथ अचानक हुई बारिश के कारण भोपाल टॉकीज चौराहे के पास एक पेड़ मकान और दुकानों पर गिर गया। हादसे के दोरान 4 लोग मलबे में दब गए। समय रहते तीन लोगों को तो बाहर निकाल लिया गया था, लेकिन इलाज के दौरान एक की मौत हो गई। राहत और बचाव टीम को एक शव बाद में मलबे के नीचे दबा मिला। घायल दोनों युवकों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। उधर इस हादसे के बाद शहर में वे परिवार दहशत में हैं जिनके घर के पास बड़े पेड़ हैं।
राजधानी में हजारों मकान और दुकान ऐसे हैं जिनके आसपास आम, जामुन, इमली, बरगद, पीपल के पेड़ और मोबाइल टावर हैं। लोगों ने हरियाली और ऑक्सीजन के लिए इन पेड़ों को लगाया था। लेकिन शनिवार की घटना ने लोगों को दहशत में डाल दिया है। भोपाल में 50 साल से पुराने करीब 7000 से अधिक पेड़ है। ये पेड़ कहीं दफ्तर के ऊपर, तो कहीं दुकान और मकान के आसपास है। इन पेड़ों की कटाई-छंटाई का कार्य विगत दो सालों से नहीं हो पाया है।
रहवासी इलाकों में खड़े हैं जानलेवा पेड़
पुराने शहर में शनिवार शाम तेज हवा और बारिश कहर बनकर बरपी। इस दौरान तीन दर्जन से अधिक पेड़ गिर पड़े हैं। वैसे राजधानी केे रहवासी क्षेत्रों में बड़े और पुराने पेड़ों की भरमार है। 35 पेड़ और 12 होर्डिंग्स बिजली लाइनों पर गिरे। साकेत नगर, शक्ति नगर, भेल क्षेत्र, एमपी नगर, अरेरा कॉलोनी, एमपी नगर, न्यू मार्केट, कोटरा सुल्तानाबाद, ईदगाह हिल्स, कोहेफिजा, श्यामला हिल्स, शाहजहांनाबाद सहित पूरी राजधानी के रहवासी इलाकों में जानलेवा पेड़ खड़े हैं। भोपाल में 50 साल से पुराने करीब 7000 से अधिक पेड़ है। ये पेड़ कहीं दफ्तर के ऊपर, तो कहीं दुकान और मकान के आसपास है। इन पेड़ों की कटाई-छंटाई का कार्य विगत दो सालों से नहीं हो पाया है। यहीं कारण है कि इन पेड़ों के गिरने से होने वाले हादसों की आशंका को देखते हुए लोगों ने नगर निगम की उद्यानिकी शाखा में ढेरों शिकायतें की हैं। इन शिकायतों का आंकड़ा करीब 2000 से अधिक है, जो अब तक लंबित हैं।
…तो नहीं होता हादसा
अगर नगर निगम समय रहते चेत जाता और इन पर कार्रवाई करता तो शायद यह भोपाल टॉकीज में पेड़ गिरने से जो हादसा हुआ, वह टल सकता था। राजधानी में कलेक्ट्रेट कार्यालय, अरेरा हिल्स, खानूगांव, ईदगाह हिल्स पिपलानी सहित अन्य क्षेत्रों में ये पुराने पेड़ मौजूद है। इनके रखरखाव और इन्हें शिफ्ट करने के लिए कई लोगों ने नगर निगम से गुहार लगाई है। उद्यानिकी शाखा की जिम्मेदारी होती है कि हर साल बारिश के पूर्व इन पुराने पेड़ों की कटाई-छंटाई करें। इसके लिए साढ़े 18 करोड़ रुपए का बजट भी निर्धारित किया गया है, लेकिन इस साल न तो पेड़ों का सर्वे हुआ और ना ही मेंटेनेंस कार्य।