Home मध्य प्रदेश नगरीय निकाय आरक्षण का फैसला हो जाएगा 21 को!

नगरीय निकाय आरक्षण का फैसला हो जाएगा 21 को!

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भोपाल ।संभावना जताई जा रही है कि नगरीय निकायों में महापौर, नगर पालिका व नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों पर आरक्षण का फैसला 21 जून को हो जाएगा। दरअसल, आरक्षण पर लगी याचिका पर अंतिम सुनवाई अब 21 जून को होगी। कोर्ट ने याचिका के बाद 2 नगर निगम मुरैना और उज्जैन व 79 नगर पालिका, नगर पंचायतों में नियमों का पालन न करने पर आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। साथ ही, शासन से जवाब मांगा था।

मामले में सरकार की ओर से जवाब पेश करते हुए कहा गया है, संविधान के अनुच्छेद 243 (व) के नगर पालिका अधिनियम की धारा-29 में नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायतों के जो अध्यक्ष चुने जाने हैं, उनके पदों के आरक्षण का अधिकार शासन को दिया गया है। अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए जो पद आरक्षित किए जाते हैं, वह जनगणना के आधार पर तय किए जाते हैं।

5 जनहित याचिकाएं दायर

जनसंख्या के समान अनुपात के आधार पर आरक्षण किया जाता है। ऐसा नहीं है, जो पद एक बार आरक्षित हो गया, तो वापस आरक्षित नहीं हो सकता। नगर निगम के महापौर, नगर पालिका व नगर पंचायतों के अध्यक्षों के पद आरक्षण में चूक नहीं हुई है। हाई कोर्ट में नगरीय निकायों में महापौर व अध्यक्षों आरक्षण को चुनौती देते हुए पिछले कुछ समय में 5 जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। हाईकोर्ट ने मार्च 2021 में दो नगर निगम मुरैना व उज्जैन, 79 नगर पालिका, नगर पंचायत के महापौर और अध्यक्ष पदों पर आरक्षण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। साथ ही इस संबंध में शासन से जवाब मांगा था।

शासन ने लिखित में जवाब पेश किया

शासन ने जवाब तैयार करने के लिए समय मांगा था। अप्रैल महीने में शासन की ओर से कहा गया था कि मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर रहे हैं। जिस पर कोर्ट ने याचिका की तारीख बढ़ा दी थी। इसके बाद कोविड संक्रमण के चलते कोर्ट में गर्मी की समर वेकेशन शुरू हो गए थे। उसके बाद वीडियो कान्फ्रेंस से कोर्ट शुरू हो गए। इसी बीच, शासन ने अपना जवाब पेश कर दिया। चीफ जस्टिस की बेंच में याचिका लिस्ट की गई थी। कोर्ट ने अब इस मामले में 21 जून को अंतिम सुनवाई की तारीख निर्धारित की है। शासन ने लिखित में जवाब पेश कर दिया।

यह है मामला

बहोड़ापुर के विनय नगर निवासी एडवोकेट मानवर्धन सिंह तोमर ने याचिका लगाई थी। याचिका में तर्क दिया था कि शासन ने दो नगर निगम व 79 नगर पालिका व नगर पंचायतों को अनुसूचति जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया है। मुरैना व उज्जैन नगर निगम के महापौर का पद वर्ष 2014 में आरक्षित थे। 2020 में भी इन सीटों को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रखा है। नगर पालिका व नगर पंचायतों अध्यक्षों के आरक्षण में भी ऐसा ही किया गया है, जबकि वर्ष 2020 के चुनाव में रोटेशन प्रणाली का पालन करते हुए बदलाव करना था। रोटेशन प्रक्रिया का पालन नहीं होने से अन्य वर्ग के लोगों को चुनाव से वंचित होना पड़ रहा है। ये लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। इसी याचिका पर सुनवाई हो रही है। अब 21 जून को अंतिम सुनवाई है।

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