भोपाल । प्रदेश में खरीफ की बोवनी सिर है और सोयाबीन के बीज की प्रदेश में किल्लत हो गई है। किसान निजी क्षेत्र के बीज उत्पादक किसानों से सोयाबीन बीज की दोगुनी कीमत वसूल रहे हैं। खरीफ सीजन की सबसे महत्वपूर्ण फसल सोयाबीन के प्रमाणित बीज की भारी किल्लत है। इसकी वजह से निजी क्षेत्र में बीज की कीमत प्रति क्विंटल 12 हजार रुपये तक पहुंच गई है। जबकि, इसकी सरकारी कीमत छह हजार 600 रुपये निर्धारित है। बीज संकट को देखते हुए सरकार बीज को अत्यावश्यक सेवा कानून (एस्मा) के दायरे में लाने की तैयारी में है। वहीं, केंद्र सरकार से बीज के मूल्य नियंत्रण को लेकर अधिकार भी मांगे जा रहे हैं। कृषि विभाग ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं बीज की जमाखोरी और मुनाफाखोरी किसी भी हालत में न हो। नकली बीज के कारोबार को भी सख्ती से रोकें। प्रदेश में दो-तन साल से सोयाबीन की फसल प्रभावित हो रही है। पिछले साल अतिवृष्टि और कीट व्याधि की वजह से सोयाबीन की फसल बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई थी। इसके पहले भी कुछ ऐसे ही हालात बने थे। इसका असर बीज उत्पादन कार्यक्रमों पर भी पड़ा। इससे प्रमाणित बीज का संकट खड़ा हो गया है। मध्य प्रदेश से बड़ी मात्रा में बीज देश के अन्य हिस्सों में भेजे जाते हैं। प्रदेश सरकार इस पर रोक भी नहीं लगा सकती, क्योंकि यह केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आता है। कृषि मंत्री कमल पटेल के निर्देश पर विभाग ने इसको लेकर कदम उठाए थे, तो केंद्र सरकार ने जवाब-तलब कर लिया गया। प्रदेश में करीब 15 लाख क्विंटल बीज की जरूरत है। सरकार विभिन्न् योजनाओं में किसानों को ढाई लाख और सहकारी समितियों के माध्यम से लगभग तीन लाख क्विंटल बीज उपलब्ध कराती है। 60 प्रतिशत बीज की पूर्ति निजी क्षेत्र से ही होती है। बड़ी संख्या में किसान स्वयं के बीज का उपयोग करते हैं पर लगातार फसल खराब होने से समस्या खड़ी हो गई है। इसी कारण छह हजार 600 रुपये प्रति क्विंटल के सोयाबीन बीज की कीमत कहीं-कहीं 12 हजार रुपये तक पहुंच गई है। इसे लेकर कृषि विभाग भी सतर्क हो गया है। विभाग ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं बीज की उपलब्धता और वितरण पर नजर रखें। एस्मा के तहत कार्रवाई करने की तैयारी भी की जा रही है। अपर मुख्य सचिव कृषि अजीत केसरी ने कलेक्टरों से कहा है जमाखोरी और मुनाफाखोरी पर सख्ती से कार्रवाई की जाए। केंद्र सरकार को भी मूल्य नियंत्रण के लिए कार्रवाई का अधिकार देने संबंधी प्रस्ताव भेजा जा रहा है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा दो-तीन साल से सोयाबीन की फसल प्रभावित होने से प्रमाणित बीज की कमी सामने आ रही है। इसकी वजह से कुछ जगह नकली बीज बनाकर बेचने और मुनाफाखोरी की शिकायतें भी सामने आई हैं। अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मुनाफाखोरी न हो, इसके लिए कदम उठाए जाएं। इसी क्रम में खंडवा में नकली बीज के मामले में पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।