उज्जैन । किसी भी राज्य को यह एहसास भी न था कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर इतनी घातक होगी। दूसरी लहर में जिस गति से कोरोना ने अपने पैर पसारे, उससे सभी राज्य हतप्रभ रह गये। मध्यप्रदेश भी उन्हीं में से एक था। अचानक कोरोना के संक्रमण का बढ़ना सभी के लिये चिंता का विषय था। इन कठिन परिस्थितियों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुलंद हौंसले और पुख्ता इंतजामों के साथ प्रदेश की जनता को कोरोना से बचाने के लिये सुरक्षा कवच प्रदान किया।
जिस तरह से कोरोना संक्रमण बढ़ रहा था, ऐसे में इंतजामों के लिये समय बहुत कम था। इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री चौहान ने हार नहीं मानी। प्रतिदिन लगभग 20 घंटे जाग कर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रभावी रणनीति बनाई और प्रदेश के हर जिले में चिकित्सकीय व्यवस्थाओं को दुरूस्त किया। कोरोना संक्रमण के प्रकरणों को देखते हुए शासकीय अस्पतालों में बेड्स की संख्या बढ़ाते हुए जरूरी औषधियों की आपूर्ति भी सुनिश्चित की गई। इसी बीच कोरोना वायरस ने अपना रौद्र रूप लेकर मरीजों के लंग्स पर असर डालना शुरू कर दिया। इस स्थिति में मरीजों को ऑक्सीजन और वेंटिलेटर्स की जरूरत पड़ने लगी। स्थिति गंभीर हो रही थी, लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने हार नहीं मानी। दिन-रात एक कर वे ऑक्सीजन की व्यवस्था में जुट गये। राज्य स्तर पर होने वाले सभी प्रयत्न किये गये। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई केंद्रीय मंत्रियों से संवाद कर ऑक्सीजन की कम समय में आपूर्ति करवाई। राज्य के बाहर से आने वाली ऑक्सीजन के लिये टैंकरों को इंडियन एयर फोर्स के विमानों से झारखंड और राजस्थान भेजा गया। जहाँ से रेल एवं सड़क मार्ग द्वारा ऑक्सीजन मध्यप्रदेश को मिली और कोरोना मरीजों के लिये जीवन दायिनी बनी।
ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता के प्रभावी प्रयास
जरूरत के समय ऑक्सीजन बाहर से मंगाना मजबूरी थी। इस मजबूरी को खत्म करने के लिये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संकल्प लिया कि प्रदेशवासियों के हित में ऑक्सीजन की उपलब्धता प्रदेश में ही करेंगे। इस दिशा में उन्होंने तेजी से प्रयास करने प्रांरभ कर दिये। इसमें केन्द्र सरकार का सहयोग लिया गया और ऑक्सीजन बनाने वाली कम्पनियों से भी सम्पर्क किया गया। सच्चे मन से किये गये प्रयास अब रंग लाना शुरू हो गये हैं। मुख्यमंत्री चौहान की पहल पर आज मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में 96 ऑक्सीजन प्लांट्स का कार्य निर्माणाधीन है। इनमें से कुछ प्लांट्स ने कार्य प्रांरभ कर दिया है। शेष का कार्य समय-सीमा निर्धारित कर पूरा किया जा रहा है। मुख्यमंत्री चौहान के प्रयासों से शीघ्र ही मध्यप्रदेश ऑक्सीजन के मामले में आत्म-निर्भर होगा। वर्तमान में केन्द्र सरकार और अन्य बाहय स्त्रोतों से प्राप्त हो रही ऑक्सीजन के अलावा राज्य सरकार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के माध्यम से भी मरीजों को ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है। प्रदेश के भोपाल, रीवा, इंदौर, ग्वालियर और शहडोल में नवीनतम तकनीक वीपीएसए आधारित ऑक्सीजन प्लांट्स लगाये जा रहे हैं। इनमें प्रति मिनट 300 से 400 लीटर ऑक्सीजन बनेगी। इस नवीनतम तकनीक से ऑक्सीजन प्लांट्स लगाने वाला मध्यप्रदेश, देश का पहला राज्य है।
बचाव की प्रभावी रणनीति
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेशवासियों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिये जो रणनीति अपनाई, उसमें पहली- कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ना। इस कार्य में शासन के मंत्री, विभिन्न विभागों के अधिकारी, जन-प्रतिनिधि, सामाजिक संस्थाएँ, स्वयंसेवी संगठन और शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र की जनता ने भी सक्रिय होकर कार्य किया हैं। क्षेत्र की जनता ने कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिये स्व-प्रेरित होकर जनता कर्फ्यू भी लगाया। इस कार्य में प्रदेश के अनेक ग्रामों ने आदर्श भी प्रस्तुत किया है। अपने गाँव को कोरोना से सुरक्षित करने के लिये ग्रामीणों ने पूरा गाँव लॉक कर दिया। जरूरत का सामान लाने के लिये गाँव के 4-5 लोग ही बाहर जाते हैं और पूरे गाँव के लोगों के लिये सामग्री लाते हैं। कोरोना से बचाव का यह अभिनव नवाचार भी है। राज्य शासन की अपील पर कई क्षेत्रों में लोगों ने अपने वैवाहिक एवं सामाजिक कार्यों को अभी न करने का निर्णय भी लिया है।
प्रभावी किल कोरोना अभियान
मुख्यमंत्री चौहान की रणनीति का दूसरा कदम “किल कोरोना अभियान” है। इस अभियान में गाँव-गाँव टीम बनाकर लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक किया और घर-घर जाकर संभावित मरीजों की पहचान कर उनके उपचार की व्यवस्था भी सुनिश्चित की है। ब्लॉक और ग्राम स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप भी तैयार किये गये हैं, जिसमें सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व रहा। ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड केयर सेंटर और क्वारेंटाइन सेंटर्स भी बनाये गये हैं। इन सेंटर्स पर उपचार के साथ अन्य जरूरी व्यवस्थाएँ भी की गई हैं। मुख्यमंत्री चौहान के आव्हान पर एक लाख से अधिक सामाजिक कार्यकर्ता कोरोना वॉलेंटियर्स बनकर सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कोविड नियंत्रण में जन-जागरूकता के कार्यों में अहम योगदान दे रहे हैं। मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद द्वारा सक्रिय भूमिका निभाई जा रही है।
संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार द्वारा “जीवन अमृत योजना” शुरू की गई। योजना में अब तक लगभग 2 लाख काढ़े के पैकेट घर-घर वितरित कर लोगों को लाभान्वित किया गया। इसी क्रम में “योग से निरोग” कार्यक्रम भी प्रदेश में चलाया जा रहा है। इसमें योग प्रशिक्षक होम आईसोलेटेड मरीजों को ऑनलाइन योगाभ्यास करवा रहे हैं।
वैक्सीन का सुरक्षा कवच
शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आमजन को कोरोना से बचाव के लिये वैक्सीन का सुरक्षा कवच प्रदान किया जा रहा है। प्रदेश के मुखिया होने के नाते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह प्रयास है कि चरणबद्ध तरीके से सभी वर्गों को वैक्सीन लगाई जाए। इसके लिये वैक्सीन की उपलब्धता भी बड़े पैमाने पर की जा रही है। मुख्यमंत्री चौहान का कहना है कि इस संकट काल में वैक्सीन कोरोना से सुरक्षा प्रदान कर रही है। हमारा लक्ष्य सभी को सुरक्षा कवच प्रदान करना है, इसलिये वैक्सीन खरीदी के लिये व्यापक स्तर पर आर्डर जारी कर दिये गये हैं।
दवाओं की कालाबाजारी और उपचार की लूट की सख्ती से रोकथाम
कोरोना मरीजों के प्रति संवेदनशील और कालाबाजारी एवं मिलावटखोरों के प्रति सख्त मुख्यमंत्री चौहान का कहना है कि उस समय मन में अति पीड़ा होती है, जब यह तथ्य सामने आता है कि कुछ स्वार्थी लोग कोरोना उपचार की दवाओं एवं अन्य सामग्री की कालाबाजारी एवं नकली दवाओं के विक्रय में लिप्त हैं। ऐसे लोग मानवता के दुश्मन हैं। मध्यप्रदेश की धरती पर ऐसे नरपिशाचों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जा रही है। मध्यप्रदेश सरकार की उन निजी अस्पतालों पर भी कड़ी नजर है, जो कोरोना उपचार के नाम पर जनता के साथ लूट-खसोट कर रहे हैं। ऐसे अस्पतालों और संचालकों के विरूद्ध भी कार्यवाहियाँ की जा रही हैं। निजी चिकित्सालयों में कोविड उपचार के निर्धारित प्रोटोकॉल एवं मापदंडों का उल्लंघन होने पर अनेक प्रकरणों में नोटिस और एफआईआर पंजीकृत करायी गई है। इसके साथ ही रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाज़ारी के प्रकरणों में दोषी व्यक्तियों के खिलाफ एनएसए की कार्यवाही कर जेल भेजा गया है। साथ ही चोरबाज़ारी निवारण अधिनियम एवं आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम में भी आरोपियों को गिरफ़्तार कर जेल भेजा गया है।
तीसरी लहर के प्रति भी पूरी सजगता
वर्तमान में कोरोना की दूसरी लहर से प्रदेशवासियों को बचाने की पुख्ता व्यवस्था के साथ मुख्यमंत्री चौहान द्वारा आगामी रणनीति भी तैयार की जा रही हैं। कोरोना की संभावित तीसरी लहर के प्रति मुख्यमंत्री पूर्ण सजग एवं जागरूक होकर ऐसी व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करना चाह रहे हैं, जिससे समय रहते कोरोना की तीसरी लहर पर नियंत्रण किया जा सके। इसके लिये स्वास्थ्य के क्षेत्र में इन्फ्रा-स्ट्रक्चर को बढ़ाने एवं अन्य व्यवस्थाओं को बढ़ाने की कार्य-योजना पर तेजी से अमल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री चौहान का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर से बहुत सबक लिया गया है। भविष्य में ऐसी स्थिति निर्मित न हो, इसके पुख्ता इंतजाम पहले से ही कर लिये जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार सतर्क है, जनता को भी सतर्क और सजग रहना होगा। सरकार और समाज मिलकर सभी को कोरोना से बचाएंगे।
संवेदनशील निर्णय और गरीबों को आर्थिक संबल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना काल में गरीब वर्ग का परिवार के सदस्य के रूप में पूरी संवेदनशीलता के साथ ख्याल रखा। उन्होंने कोरोना काल में अनेक ऐसी योजनाएँ भी शुरू की जो गरीब और असहाय लोगों के लिये वरदान साबित हो रही हैं। इन योजनाओं में मुख्यमंत्री कोविड बाल कल्याण योजना, विशेष अनुग्रह योजना, अनुकम्पा नियुक्ति योजना, कोरोना योद्धा कल्याण योजना और मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना शामिल हैं। आयुष्मान भारत योजना में भी नये प्रावधान जोड़ कर गरीबों को उपचार की सुविधाएँ उपलब्ध करवाई गईं। इसके साथ ही शहरी एवं ग्रामीण पथ विक्रेताओं को आर्थिक सहायता, तेंदूपत्ता संग्राहकों को पारिश्रमिक का भुगतान, संबल योजना में हितग्राहियों को अनुदान राशि, मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में 75 लाख किसानों के खातों में 1500 करोड़ रूपये और पिछड़ी जनजाति बैगा, भारिया और सहरिया वर्ग की 2 लाख 18 हजार 593 महिलाओं के खातों में आहार अनुदान योजना के तहत 21 करोड़ 85 लाख 93 हजार रूपये अंतरित किये।
चौतरफा प्रयासों से मिली सफलता
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये जो चौतरफा व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की, उनके सुपरिणाम से मध्यप्रदेश आज कोरोना संक्रमण से मुक्त हो रहा है। लगातार 24 घंटे की सतत निगरानी, प्रतिदिन संभाग एवं जिलों के अधिकारियों, मंत्रि-परिषद के सदस्यों, सांसद विधायकों, जन-प्रतिनिधियों, क्राइसिस मैनेजमेंट समूहों, कोर ग्रुप के सदस्यों, चिकित्सा विशेषज्ञों से प्रतिदिन संवाद कर और प्रशासनिक सूझबूझ से समय रहते व्यवस्थाएँ सुनिश्चित कर मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण को काफी हद तक रोकने में सफलता मिली है। इन्हीं प्रयासों के चलते 21 अप्रैल को एक्टिव केसेस की संख्या के हिसाब से मध्यप्रदेश, देश में 7वें नंबर पर था, जो आज की स्थिति में 19वें नंबर पर आ गया है। उपचार की माकूल व्यवस्थाएँ और टेस्टिंग के आंकड़े स्पष्ट करते है कि प्रदेश में दिनो-दिन कोराना के केस कम हो रहे हैं और रिकवरी रेट लगातार बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कोरोना की जंग में प्रदेश में जन-भागीदारी का जो सफल प्रयोग हुआ है, वह अन्य प्रांतों के लिये उदाहरण भी बना है। प्रदेश में अभी भी प्रयास लगातार जारी रहेंगे और कोरोना पर हम निश्चित रूप से जीत हासिल करेंगे।