वाशिंगटन। अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में हर देश को दिए जाने वाले रोजगार पर आधारित ग्रीन कार्ड की सीमा हटाने के लिए संयुक्त रूप से एक विधेयक पेश किया गया। इससे भारतीय आईटी पेशेवरों को फायदा होने की संभावना है जो लंबे वक्त से ग्रीन कार्ड मिलने का इंतजार कर रहे हैं। कानून ईएजीएलई 2021 को पहले सीनेट में पारित कराना होगा फिर बाद वह राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए व्हाइट हाउस में जाएगा। ग्रीन कार्ड अमेरिका में एक सबूत के तौर पर प्रवासियों को जारी किया जाता है जिससे उन्हें स्थायी रूप से रहने का विशेषाधिकार मिल जाता है।
मौजूदा आव्रजन प्रणाली का सबसे ज्यादा खमियाजा भारतीय आईटी पेशेवरों को भुगतना पड़ रहा है जो उच्च कौशल वाले हैं और वे एच-1बी कार्य वीजा पर अमेरिका आते हैं। इस विधेयक में रोजगार आधारित प्रवासी वीजा पर प्रति देश सात प्रतिशत की सीमा को हटाने का प्रावधान है। साथ ही इसमें परिवार प्रायोजित वीजा पर प्रति देश सात प्रतिशत की सीमा को 15 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है।आव्रजन और नागरिकता पर सदन की उप समिति की अध्यक्ष लोफग्रेन ने कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि हमारी आव्रजन प्रणाली में बहुत खामी है ।।। और इसमें दशकों से त्रुटि है।’ उन्होंने कहा कि आव्रजन वीजा देने की मूल रूपरेखा 20वीं सदी की है और इसे आखिरी बार गंभीर रूप से 1990 में संशोधित किया गया जब संसद ने वीजा के आवंटन पर दुनियाभर में एक सीमा तय कर दी और प्रति देश सात प्रतिशत की सीमा आज भी लागू है। उन्होंने कहा कि समय के साथ ही इन सीमाओं से 1990 में ग्रीन कार्ड पाने का इंतजार कर रहे लोगों की संख्या अकल्पनीय रूप से बढ़ गयी। इसका असर यह हुआ कि कम आबादी वाले देशों को भी उतने ही वीजा आवंटित किए गए जितने वीजा ज्यादा आबादी वाले देशों को मिले।