बिलासपुर । छत्तीसगढ़ बायो डायवर्सिटी बोर्ड द्वारा आयोजित फोटोग्राफी प्रतियोगिता में इनाम के लिए फर्जी फोटो का चयन करने के कारण निरस्त कर दिया गया है। इस फर्जीवाड़ा के कारण फोटो चयन समिति को भी भंग कर दिया गया है। चयन समिति ने अपने ही विभाग के महिला ष्ठस्नह्र को प्रथम पुरस्कार के लिए चयन कर लिया था यही नही द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के लिए चयनित फोटो भी फर्जी बताए जा रहे है।
अब कहानी कुछ विस्तार से- पिछले दिनों छत्तीसगढ़ बायोडायवर्सिटी बोर्ड द्वारा जैव विविधता पर आधारित फोटो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रमाण पत्र के अलावा नगद पुरस्कार भी दिया जाना है। बोर्ड ने फोटो चयन करने के लिए एक कमेटी बनाई। इस कमेटी के द्वारा चयनित फोटो को ही पुरस्कार दिया जाना था। कमेटी में तथाकथित विशेषज्ञ के अलावा वन विभाग के अधिकारियों को भी शामिल किया गया। प्रतियोगिता का प्रचार-प्रसार होते ही वाइल्डलाइफ फोटो ग्राफरों ने प्रविष्टियां भेजनी शुरू कर दी। विभागीय अधिकारियों की माने तो प्रतियोगिता में ढाई हजार से ज्यादा फोटो आई थी। लेकिन चयन समिति ने पुरस्कार के लिए जिन तस्वीरों का चयन किया वो बायोडायवर्सिटी बोर्ड की फजीहत करने के लिए पर्याप्त था। पहला पुरस्कार एक तितली की तस्वीर को दिया गया जो वन विभाग में ही पदस्थ एक महिला ष्ठस्नह्र की थी। दूसरे पुरस्कार के लिए जिस तस्वीर का चयन किया गया वो एक कछुए का था। तस्वीर देखके ही स्पष्ट हो जाता है कि कछुआ पालतू है। यदि कछुआ पालतू है तो सबसे पहले तो वन विभाग के अधिकारियों को प्रतियोगी के खिलाफ जुर्म दर्ज करना चाहिए। क्योंकि कछुआ पालना जुर्म है। तीसरे पुरस्कार के लिए जिस तस्वीर का चयन किया गया वो तो और भी हास्यास्पद है। क्योंकि प्रतियोगी ने इंटरनेट से एक ऐसी चिडिय़ा अमेरिकी केस्ट्रेल की तस्वीर डाउनलोड करके भेज दिया था जो भारत मे मिलता ही नही। विडम्बना तो ये है कि चयन समिति के तथाकथित विशेषज्ञ भी इससे अनजान थे।
जैसे ही बोर्ड ने प्रतियोगिता के विजेताओं के नाम उनकी भेजी हुई तस्वीर के साथ सोसल मीडिया में जारी की बखेड़ा शुरू हो गया। आयोजकों ने तो इनाम वितरण के लिए कार्यक्रम भी तय कर दिए और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चीफ गेस्ट भी बना दिया। जब विवाद शुरू हुआ तो सबसे पहले प्रथम पुरस्कार के लिए चयनित महिला ष्ठस्नह्र सामने आई और मीडिया वालों से कहना शुरू किया कि उसने तो प्रतियोगिता के लिए फोटो भेजी ही नही। तो सवाल उठता है कि प्रतियोगिता में तस्वीर पहुंची कैसे ? शाम रात तक विवाद इतना बढ़ा की बोर्ड को प्रतियोगिता ही निरस्त करनी पड़ गई। यही नही चयन समिति को भी भंग करना पड़ा। अब देखना ये है कि नई समिति कितना निष्पक्ष चुनाव करती है।
बनाया गया नया नियम
प्रतियोगिता निरस्त करने और चयन समिति को भंग करने के बाद नया नियम बनाया गया है। जिसके अनुसार पूर्व में प्राप्त एंट्री का पुनर्परीक्षण किया जाएगा। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतियोगी को लिखित में बताने होंगे कि यह फोटो कहाँ एवं किस समय क्लिक की गई है, यदि गलत पाए गए तब उनपर वैधानिक कार्यवाही भी विभाग कर सकेगी।