Home मध्य प्रदेश कहानी सच्ची है अंधेरा लाख गहरा हो पर हमेशा नहीं रहता…

कहानी सच्ची है अंधेरा लाख गहरा हो पर हमेशा नहीं रहता…

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सागर ।  वैश्विक महामारी ने हमारी दुनियां को एकदम बदल दिया है , जहां लोग  एक तरफ आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हैं और दूसरी तरफ कुछ लोगों ने अपनों को खोने का दर्द भी सहा है । कुछ बच्चों ने अपने मां-बाप को खो दिया और अनाथ हो गए । कहते हैं कि, माता-पिता की छत्रछाया में ही एक सुंदर जीवन पनपता है।  ऐसे में यदि माता-पिता या अभिभावक का साया सर से उठ जाए तो जीवन अपने कठिनतम स्वरूप में प्रकट हो जाता है।

लेकिन ऐसी विषम परिस्थिति में मध्य प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना काल में अनाथ हुए ऐसे सैकड़ों बच्चों की पीड़ा समझी और उनके लिए एक दृढ़ सहारा बनकर उभरे।

मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना ऐसे ही अनाथ बच्चों का संबल है, जिनके माता-पिता की कोरोना काल में मृत्यु हो गई। ऐसे बच्चों को मध्य प्रदेश शासन ने पेंशन और निःशुल्क राशन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।

सागर ज़िले में भी शासन के निर्देशानुसार कलेक्टर दीपक सिंह ने तत्काल संवेदनशीलता दिखाते हुए ऐसे 5 बच्चों की सूची संकलित की हैं और उन्हें इस योजना के अंतर्गत लाभ दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी सुश्री रचना बुधौलिया ने बताया कि, पिछले दिनों चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर से उनके कार्यालय को सागर के परकोटा झिरना मंदिर परिसर में निवासरत  कार्निका तिवारी, हर्ष तिवारी, विशाल तिवारी, वासुदेव तिवारी चार अनाथ बच्चों की जानकारी प्राप्त हुई। बताया गया कि, इन बच्चों की माता श्रीमती जया कीर्ति तिवारी का निधन 15 अक्टूबर 2014 को हो गया था और कोविड के चलते कोरोना संक्रमण से पिता कमलेश तिवारी का भी 24 अप्रैल 2021 को निधन हो गया।

सागर की चाइल्ड हेल्पलाइन टीम ने जब इस संबंध में जाँच की तो सभी तथ्य सही पाए गए। चार बच्चों में से दो बच्चें सागर में अध्ययनरत हैं। जबकि, उनके दो भाई एवं शहर के बाहर गुरुकुल में पढ़ रहे हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा इन चारों बच्चों को मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना के अंतर्गत लाभ दिलाने की प्रक्रिया की गई है। और उन्हें 21 वर्ष पूर्ण होने तक 5000 मासिक पेंशन, खाद्यान्न सुरक्षा और शिक्षा सहायता का निःशुल्क लाभ दिया जाएगा।

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