इन्दौर । संयुक्त किसान मोर्चा, मध्यप्रदेश से जुड़े इन्दौर संभाग के विभिन्न किसान संगठनों की ऑनलाइन बैठक में निर्णय लिया गया कि 26 मई को किसान आंदोलन के 6 माह पूर्ण होने तथा मोदी सरकार के जनविरोधी सरकार के 7 वर्ष पूर्ण होने पर इन्दौर संभाग के भी सभी जिलों में काला दिवस मनाया जाए।
बैठक में मौजूद विभिन्न संगठनों के नेताओं ने मोदी सरकार के जनविरोधी नीतियों पर आक्रोश जताते हुए कहा कि इस सरकार के कारण लोग जीवन मृत्यु से संघर्ष कर रहे हैं। किसान तीनों बिल वापस लेने की मांग कर रहे हैं। मंडियों की हालत खराब है। उपज का दाम नहीं मिल पा रहा है। सब्जी और दूध उत्पादकों की परेशानी लॉकडाउन से और ज्यादा बढ़ गई है। किसान अपनी उपज को बर्बाद करने पर मजबूर है। ऐसे में देशव्यापी आव्हान को सफल बनाना हम सबकी जिम्मेदारी है। बैठक में अखिल भारतीय किसान सभा, आदिवासी मुक्ति संगठन, म.प्र. किसान सभा, किसान संघर्ष समिति, अ.भा. किसान खेत मजदूर संगठन, सेंटर फॉर ट्रेड यूनियन, सीटू सहित विभिन्न संगठनों के नेताओं और पदाधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक में 26 मई को इन्दौर संभाग के सभी जिलों में तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द कराने, बिजली संशोधन बिल वापस लेने एवं सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना दाम पर खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर काला दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है। निर्णय के अनुसार सभी जिलों में 26 मई को कोविड महामारी से बचाव के लिए दवाई, ऑक्सीजन, डॉक्टर, वेंटिलेटर और अस्पताल की व्यवस्था ना होने के कारण लाखों भारतीयों की मौत एवं किसान आंदोलन के दौरान 500 किसानों की शहादत तथा 15 करोड़ रोजगार से लगे लोगों को बेरोजगार बनाने के जिम्मेदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करने तथा घरों वाहनों तथा चौपालों पर काला झंडा लगाकर अधिक से अधिक किसानों को किसान विरोधी कानूनों की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। बैठक को कैलाश लीम्बोदिया, रामस्वरूप मंत्री, अरुण चौहान,प्रमोद निदेश, सीएल सराबत, सोनू शर्मा, भारत चौहान , रोहित ,दिनेश सिंह कुशवाह, प्रसन्ना मंडोलिया,भागवत परिहार, नवनीत मंडलोई , राजेश बैरागी सहित इन्दौर, धार ,अलीराजपुर ,झाबुआ ,खरगोन ,बड़वानी ,देवास आदि जिलों के किसान संगठनों के नेताओं ने संबोधित किया।
किसान नेताओं ने बताया कि किसानों की सब्जी और दूध खराब हो रही है क्योंकि प्रशासन और पुलिस द्वारा किसानों को दूध और सब्जी बेचने की इजाजत नहीं दी जा रही है। किसान नेताओं ने बताया कि लॉकडाउन के चलते पहले ही मंडियां बंद है। बाद में सोसाइटीयों में भी बारदाने की कमी तथा गोडाउन का हवाला देकर कई जगहों पर खरीद बंद की कर दी गई है तथा कई सोसाइटियों में भंडारण व्यवस्था न होने के कारण गेहूं खुले आसमान के नीचे गीला हो कर सड़ रहा है।