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मध्य प्रदेश की औद्योगिक इकाइयों में चलेगा विशेष टीकाकरण अभियान

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इन्दौर । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज इन्दौर से विभिन्न औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों से बात की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा इस चर्चा में मध्य प्रदेश में औद्योगिक जगत में वैक्सीनेसन प्लान बनाने पर चर्चा हुई। चौहान ने औद्योगिक संगठनों और सरकार के बीच इस विषय पर समन्वय करने के लिए प्रमुख सचिव (औद्योगिक नीति और निवेश संवर्द्धन) संजय शुक्ला को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। संगठनों के प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुए शिवराज सिंह ने कहा कि औद्योगिक इकाइयों को इस संबंध में सरकार द्वारा पूरी मदद की जाएगी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज इन्दौर से वेबिनार द्वारा उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे थे। चौहान ने अपील की है कि टीकाकरण के कार्य में कॉर्पोरेट सेक्टर आगे आयें और अपने कर्मचारियों का टीकाकरण का वृहद् अभियान संचालित करें। उन्होंने कहा कि हम मध्यप्रदेश में ही वैक्‍सीन का निर्माण कर सकें तो यह बहुत बड़ी सफलता होगी। श‍िवराज ने कहा कि मध्य प्रदेश में वैक्सीन उत्पादन हेतु इच्छुक, निजी क्षेत्र की कंपनियों को मैं आमंत्रित करता हूँ एवं उनसे शीघ्र ही राउंड टेबल कान्फ्रेंस कर हम भविष्य की रणनीति पर चर्चा करेंगे। परिचर्चा का शुभारंभ प्रमुख सचिव संजय कुमार शुक्ला ने उद्देश्यों और परिस्थितियों से अवगत कराते हुए किया। इस परिचर्चा में भारतीय औद्योगिक परिसंघ के पश्चिमी क्षेत्र के चेयरमेन बी. त्यागराजन, अपोलो हास्पिटल लि. की डॉ. संगीता रेड्डी, शक्ति पंप लि. के चेयरमेन दिनेश पाटीदार, औद्योगिक परिसंघ, म.प्र. के चेयरमेन सौरभ सांगला, फिक्की के मधुसूदन गोपालन, सुनील कटारिया, सुनील चोरडिया ने भाग लिया और अपने सुझाव रखें। इस दौरान उद्योग जगत के प्रतिन‍िध‍ियों ने कोरोना से निपटने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के प्रयासों की सराहना भी की।

मुख्यमंत्री ने भी उद्योग जगत से जुड़े कॉर्पोरेट लीडर्स, उद्यमियों के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि वे केवल देश के लिए आवश्यक सामग्री, अधोसंरचनाओं का निर्माण करते हैं बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराते हैं। वे सब अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उन्होंने कहा कि उद्यमशीलता और कर्मठता के लिए भी मैं आपका सम्मान करता हूँ। कोरोना महामारी के संकट के दौर में उद्योग जगत से जो सहयोग प्राप्त हुआ उसके लिए आप सभी का आभारी हूँ। उन्होंने कहा कि ऐसा संकट हमने पहली बार देखा है। दूसरी लहर पहले की तुलना से ज्यादा घातक है। आप सबके सहयोग से कोरोना की दूसरी लहर से भी जल्दी निजात पाएंगे। उन्होंने कहा कि कोरोना की स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। प्रदेश में कोरोना की लड़ाई में जनभागीदारी मॉडल की प्रशंसा प्रधानमंत्री ने की है। यहाँ जिला, विकास खंड तथा ग्राम पंचायत स्तर तक क्राइसेस मैनेजमेंट ग्रुप बनाए गए हैं जो कोरोना से संबंधित निर्णय लेते हैं।

चौहान ने कहा कि जब कोरोना का प्रकोप प्रारंभ हुआ था तब प्रदेश में प्रतिदिन 80 मेट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध थी और वर्तमान में यह उपलब्धि बढ़कर 650 मीट्रिक टन प्रतिदिन से ज्यादा हो गई है। अब अस्पतालों में ऑक्सीजन की आवश्यकता निरंतर घटती जा रही है। भविष्य में अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में 100 से अधिक पीएसए आधारित ऑक्सीजन प्लाँट स्वीकृत हो चुके है। अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाई गई है। टेस्ट की क्षमता में भी वृद्धि की गई है।

ब्लैक फंगस की विभीषिका की जानकारी प्राप्त होते ही भोपाल, जबलपुर, इन्दौर, ग्वालियर और रीवा मेडीकल कॉलेजों में इसके इलाज के लिए इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के बीमार होने की आशंका के चलते अभी से विशेषज्ञों का दल गठन कर उनकी सलाह पर आवश्यक तैयारियों प्रारंभ कर दी हैं। बच्चों के लिए बिस्तर आरक्षित किये जा रहे। नए लोगों को संक्रमण से बचाना ही आज की जरूरत है। इसलिए रोगियों के उपचार की सुविधाएँ बढ़ाने व संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए मध्यप्रदेश में आईटीआईटीवी रणनीति अपनाई गई। इसका अर्थ है आइडेंटिफाई, टेस्ट, आइसोलेट, ट्रीट और वैक्सीनेशन।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना कर्फ्यू में सभी वाणिज्यिक गतिविधियॉ बंद रखी गई हैं। परंतु इस के बीच भी उद्योगों को बंद नहीं करने का निर्णय लिया गया। मैं जानता हूँ कि उद्योग धंधे अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, वह न केवल जरूरी सामान तैयार करते हैं बल्कि वे लाखों लोगों को रोजगार भी देते हैं। हमें यह भी पता है कि उद्योग धंधे एक अनुशासित वातावरण में काम करते हैं इसलिए भी उन्हें छूट देते समय मन में कोई शंका नहीं थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब आप सबका दायित्व है कि उद्योगों में काम करने वालों के बीच कोरोना एप्रोप्रियेट विहेवियर का पालन सुनिश्चित करें। काम की पालियां इस प्रकार बनाएँ कि एक समय में उपस्थित लोगों में पर्याप्त भौतिक दूरी रह सके, हैंण्ड सेनेटाइजेशन की व्यवस्था हो और सभी कर्मकार मास्क का प्रयोग करें। किसी भी संदिग्ध मरीज को तत्काल आइसोलेट कर डॉक्टरी इलाज की सुविधा उपलब्ध हो । टीकाकरण ही भविष्य में कोरोना की तीसरी लहर रोकने का एक कारगर तरीका है।

टीकाकरण शीघ्र हो इसके लिए जन भागीदारी आवश्यक है। भविष्य में आर्थिक गतिविधियों में निरंतरता रखने हेतु हमको युद्ध स्तर पर वेक्सिनेशन प्रोग्राम संचालित करने की आवश्यकता है। बड़े उद्योगों में हजारों लोग काम करते हैं। छोटे उद्योगों में भी यह संख्या सैकड़ों में होती है। इनके कार्य करने की स्थिति ऐसी होती है कि निकट संपर्क आवश्यक होता है। ऐसी स्थिति में टीकाकरण ही एकमात्र विकल्प है जो इन्हें कोरोना की विभीषिका से बचा सकता है। इसलिए कॉर्पोरेट सेक्टर की जवाबदारी है और उनसे मेरा आह्वान है कि वे अपने कर्मचारियों, मजदूरों और उनके परिवार के टीकाकरण के लिए कदम उठाएँ। वे बाजार से वैक्सीन क्रय करके यह काम कर सकते हैं। कोविड फ्री वातावरण में उनकी इंडस्ट्री भी ज्यादा प्रगति करेगी और यह उनकी ओर से लोक कल्याण का कार्य भी होगा।

उन्होने कहा कि वेक्सिनेशन प्रोग्राम को द्रुत गति से संचालित करने हेतु हमें भारत सरकार द्वारा जारी राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के तहत काम करने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय रणनीति के तहत निजी क्षेत्र को वेक्सिनेशन सेंटर स्थापित करने की पात्रता है जिसका वे कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। निजी क्षेत्र, वेक्सीन उत्पादकों से सीधे वेक्सीन की आपूर्ति ले सकते हैं। भारत सरकार ने कुल वेक्सीन उत्पादन का 50 प्रतिशत राज्य सरकारों एवं निजी क्षेत्रों द्वारा प्रयोजन हेतु चिन्हित किया है। निजी क्षेत्र के वेक्सिनेशन प्रोग्राम के तहत आपसे अपने कर्मचारियों, उनके परिवारों एवं निकटवर्ती कम्युनिटी को वेक्सीनेट करने के लिए सहयोग अपेक्षित है।

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