बिलासपुर-
राखड़ सप्लाई का आर्डर दिये जाने से एनटीपीसी प्रभावित ग्रामीणों में है खासी नाराजगी
बिलासपुर| जिले में लॉकडाउन होने के बाद भी एनटीपीसी के राखड बाँध से राखड का उठाव ना कर जांजगीर जिले के रेमंड से राखड का उठाव कर ठेकेदार द्वारा हाईवा व ट्रेलर वाहनों के माध्यम से मस्तूरी क्षेत्र में बड़े-बड़े उद्योगों में हजारो-लाख टन राखड़ की सप्लाई की जा रही है| राखड सप्लाई कर रहे ठेकदार बाल मुकुंद वर्मा द्वारा सीधे-सीधे मस्तुरी एसडीएम की अनुमति से राखड सप्लाई करने की बात कही जा रही है| एनटीपीसी के राखड़ से क्षेत्र के तक़रीबन 25 गाँव प्रभावित होते है ऐसे में मस्तुरी एसडीएम के द्वारा एनटीपीसी का राखड़ का उठाव के लिए जोर देने के बजाए लाकडाउन के बावजूद रेमंड से राखड़ सप्लाई का आर्डर दिये जाने से एनटीपीसी प्रभावित ग्रामीणों में खासा नाराजगी हैं| ग्रामीणों ने इस मामले में कहा कि मस्तूरी एसडीएम द्वारा जांजगीर जिले के ठेकेदार से मिलीभगत कर एनटीपीसी से राखड़ का ज्यादा से ज्यादा उठाव होने के बजाए रेमंड से राखड़ के लिए ठेकेदार को अनुमति देना बहुत ही निंदनीय हैं|
गौरतलब है कि एनटीपीसी सीपत के राखड़ डेम से उड़ने वाले राखड़ के कारण आसपास के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, एनटीपीसी प्रबंधन सहित प्रशासनिक अधिकारियो से शिकायत करने के बाद भी प्रबंधन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। एनटीपीसी प्रभावित ग्रामो सीपत, गतोरा, एरमशाही, जयरामनगर से लेकर मस्तूरी तक आसपास के क्षेत्र में जरा सी हवा चली नहीं कि धूल भरी आंधी प्रारंभ हो जाती है और इसके साथ ही राखड़ डेम से उड़कर राखड आसपास के क्षेत्र में फैल जाती है। इसके चलते पूरा घर वहां रखे पानी, खाद्य सामग्री राखड़ में पट जाते हैं। ग्रामीणों के बार-बार शिकायत के बाद भी प्रभावित गांव के साथ प्रबंधन द्वारा अनदेखी की जा रही है। एनटीपीसी के राखड़ डेम के राखड़ से 30 से 40 गाँव प्रभावित है जिसमे मुख्य सीपत, जयरामनगर, मस्तूरी, रलिया, रॉक, हरदाडीह, भिलाई, परसदा, कछार, बेलटुकरी, भनेशर, दर्राभाठा, नवागांव, कौड़िया आदि गाँव हैं| धूल राखड़ से प्रभावित ग्रामीणों का हाल बेहाल है, राखड़ उड़ने से लोगों का सड़क में चलना मुश्किल हो गया हैं। राखड़ की वजह से लोगों के कपड़े घरों में रखे सामान खराब हो रहे हैं वहीं आंख में राखड़ जाने के कारण लोगों को आंख संबंधी समस्या हो रही है साथ ही इस समस्या के निदान के लिए कई बार सूचना के बावजूद भी प्रबंधन डेम में पानी डालने के नाम पर लीपापोती कर रही है और इस राखड़ डेम से धूल से आस पास के सभी ग्रामीण परेशान है। शिकायत के बाद भी समस्या का समाधान नहीं होने के कारण जनप्रतिनिधि भी आक्रोशित हैं।