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निजी अस्पतालों व कालाबाजारियों पर लगाम लगा पाने में असमर्थ नजर आ रहे बिलासपुर कलेक्टर

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बिलासपुर । बिलासपुर में कोरोना महामारी के केस लगातार आ रहे हैं और लोग इस घातक कोरोना महामारी से अपने प्रियजनों की जान बचाने के लिए बेड, ऑक्सीजन और आईसीयू की तलाश में भटक रहे हैं. वहीं, कोरोना काल में  शासकीय एवं निजी अस्पतालों  से इसे लेकर लापरवाही भरी खबरें भी  लगातार सामने आ रही हैं. ताजा मामला विवादित अपोलो अस्पताल का सामने आया है. मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार, अपोलो अस्पताल ने कोरोना से मृत डाक्टर का शव बकाया बिल 50 हज़ार के लिए रोक लिया था इससे यह समझ में आता है कि अपोलो अस्पताल प्रबंधन की मानवता. पैसे कमाने के चक्कर में खत्म हो गई है, तभी तो इस तरह के मामले की शिकायत अपोलो अस्पताल की मीडिया के माध्यम से  लगातार आ रही है।

 यहाँ पर एक सवाल और उठता है कि अपोलो और इसके जैसे अन्य अस्पतालों की मनमानी पर अंकुश लगाने वाला जिला प्रशासन, ठोस कार्रवाई करने में असहाय क्यों नजर आ रहा है, यह समझ से परे है, अगर हम बात करे अपोलो अस्पताल की, तो इनकी लापरवाही के कारण कांग्रेस  के  वरिष्ठ नेता बसंत शर्मा और 12 मई को स्थानीय निवासी एक शादीशुदा महिला की मौत हो गई थी, इनके परिजनों ने अपोलो पर कई गंभीर आरोप लगाए थे. ये मामले ठंडे हुए नहीं कि इन पर डॉ0 के  शव को बंधक बनाने का भी आरोप लग गया, एक दैनिक अखबार के अनुसार, अपोलो में  डॉक्टर एम डी दोहरे को बेड नहीं मिल रहा था उस दौरान विधायक शैलेश पांडे ने बेड देने के लिए कहा था. इसी बीच रायपुर से फोन आने पर उन्हें अपोलो में भर्ती किया गया. भर्ती के दौरान उन्हें वेंटिलेटर नहीं दिया गया, जबकि मुंगेली और बिलासपुर कलेक्टर ने अपोलो प्रबंधन को  डॉक्टर एम डी दोहरे का बेहतर इलाज करने को कहा था. बावजूद इसके अपोलो प्रबंधन ने डॉक्टर की मौत के बाद उनके शव को बिल पूरा पटाने के बाद ही बेटे को सौंपा, इससे यह समझ में आता है कि जब अपोलो प्रबंधन, डॉक्टर एम डी दोहरे के स्वास्थ्य के  प्रति चिंता करने वाले विधायक पांडे, बिलासपुर कलेक्टर मित्तर, मुंगेली कलेक्टर एल्मा को हलके में ले रहा है, तो फिर आम इंसान के साथ किस तरह का व्यवहार होता होगा. हमारे पाठकों को इस लेख को पढऩे  के बाद समझ में आ गया होगा। शासकीय एवं निजी अस्पतालों की लापरवाही से हो रही मौतों के कारण सरकार की छवि खराब हो रही है. इसे देखते हुए मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री ने शहर विधायक शैलेश पांडे को अस्पतालों का विजिट करने का जिम्मा दिया था. इसी कड़ी में पांडे पहले सिम्स और कुछ निजी अस्पतालों में जाकर मामले को समझते हुए सभी को अच्छे से व्यवहार करने की समझाइश दी और  साथ ही इस तरह की पुनरावृत्ति न हो इसपर भी चेतावनी दी थी. इसमें अपोलो भी शामिल है. बावजूद इसके अपोलो ने डॉ.के शव को बंधक तब तक बना कर रखा, जब तक कि उनके बेटे  ने बकाया 50 हजार रुपए नहीं पटा दिए। इस तरह की अव्यवस्था को देखकर लगता है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बिलासपुर पर लगातार निगरानी रखनी चाहिए, क्योंकि कलेक्टर सारांश मित्तर कुछ लुटेरे निजी अस्पतालों के साथ रेत चोर, जमीन चोर/दलाल और अन्य असवैंधानिक  गतिविधियों को अंजाम देने वाले लोगों पर अंकुश लगा पाने में असमर्थ या फिर यह कहे कि असहाय नजर आ रहे हैं, इससे आम जनता को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इससे  सरकार की छवि धूमिल होना लाजमी है, जो सरकार के लिए खतरे की घंटी बन सकता है।

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