नई दिल्ली । कोरोना वायरस की दूसरी लहर की चपेट में आए 32 फीसदी ऐसे मरीज़ हैं जिनकी उम्र 30 साल से कम है। सरकारी आंकड़े में हॉस्पिटल में भर्ती और घर पर इलाज कराने वाले दोनों तरह के मरीज़ शामिल हैं। पिछले साल कोरोना की पहली लहर में ऐसे मरीज़ों की संख्या सिर्फ 30 फीसदी थी, जबकि 30 से 40 साल के उम्र के लोगों की संख्या में कोई बदलाव नहीं आया है। पिछले साल इनकी संख्या 21 फीसदी थी, वहीं इस साल भी इनकी संख्या इतनी ही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ज्यादातर युवाओं के फेफड़ों पर वायरस का ज्यादा असर दिखा है। संक्रमण के चलते फेफड़ों की हालत बदल जाती है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के मुताबिक कोरोना के नए वेरिएंट के चलते युवा इस बार कोरोना के ज्यादा शिकार हो रहे हैं। इतना ही नहीं लोगों का पूरा परिवार ही संक्रमित हो रहा है।
इस हफ्ते की शुरुआत में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने डेटा शेयर किया था। इससे पता चला था कि दूसरी लहर के दौरान कोविड के साथ अस्पताल में भर्ती मरीजों का एक बड़ा हिस्सा 0-19 वर्ष के आयु वर्ग का है। एलएनजेपी अस्पताल के एक डॉक्टर ने द प्रिंट को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में भी दूसरी लहर के दौरान संक्रमित होने वाले बच्चों और शिशुओं की संख्या बढ़ रही है। 6-13 साल के बच्चे इसलिए कोरोना से संक्रमित हुए क्योंकि वो अपने माता-पिता के साथ अस्पतालों में गए होंगे। 13 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या अस्पताल में भर्ती होने या आरटी पीसीआर परीक्षण की मांग पिछले साल की तुलना में अधिक है। इसके अलावा अभी भी बच्चों के कोरोना के टीके नहीं दिए जा रहे हैं। कोविड -19 वाले बच्चों में दस्त, उल्टी, तेज बुखार और सर्दी सामान्य लक्षण हैं। दिल्ली में सीरोलॉजिकल सर्वे के पांचवें दौर में 5-12 साल के बीच के कुल 1,307 बच्चों का सर्वे किया गया था, जिनमें से लगभग 50 प्रतिशत में एंटीबॉडी पाए गए थे। सर्वे इस साल 15 से 23 जनवरी के बीच किया गया था। एक्सपर्ट्स के मुताबिक पिछले साल बच्चे ज्यादा सुरक्षित थे, क्योंकि वे बड़े पैमाने पर घर के अंदर थे। पिछले कुछ महीनों में धीरे-धीरे स्कूल और कॉलेज खुलने लगे और यही वजह है कि युवा कोरोना के ज्यादा शिकार हो रहे हैं।