Home मध्य प्रदेश जिस स्थगन को निरस्त किया, उसी पर दे दिया स्थगन

जिस स्थगन को निरस्त किया, उसी पर दे दिया स्थगन

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 भोपाल । राजधानी के न्यायालय उपपंजीयक कोर्ट ने जिस स्थगन को खारिज किया था उसी मामले में डेढ़ माह बाद 28 अप्रैल को दोबारा स्थगन दे दिया है। यह मामला भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के ठेका श्र‎मिकों से जुड़ा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, कोर्ट ने स्थगन ठेका श्रमिक फर्म मेसर्स गोपाल विश्वास को दिया है। यह फर्म भोपाल सहकारी दुग्ध संघ में ठेका श्रमिक सप्लाई करती है जिसे भोपाल संघ प्रदेश के अन्य पांच संघों की तुलना में नौ फीसद अधिक सेवा शुल्क चुका रहा है। कोर्ट द्वारा दोबारा दिए गए स्थगन के बाद संघ को नए सिरे से ठेका श्रमिक रखने के लिए जारी टेंडर को निरस्त करना पड़ा है। दरअसल, मेसर्स गोपाल विश्वास फर्म बीते 10 साल से भोपाल संघ में श्रमिक सप्लाई के ठेके का काम कर रही है। इस फर्म का टेंडर कई बार बढ़ाया गया है। नए सिरे से जब भी टेंडर की बात आती है कुछ न कुछ अड़गें लगा दिए जाते हैं। उक्त फर्म को दूसरे दुग्ध संघों की तुलना में भोपाल संघ नौ फीसद अधिक सेवा शुल्क भुगतान कर रहा है, इस तरह दस सालों में करीब 66 करोड़ से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। दूसरे संघ ठेका श्रमिक फर्मों को इसी काम के बदले एक से डेढ़ फीसद सेवा शुल्क दे रहे हैं। इस तरह संघ को करोड़ों का नुकसान हो चुका है। दुग्ध संघ के जानकारों का कहना है कि इस असर उपभोक्ता और किसानों पर पड़ रहा है क्योंकि संघ अनावश्यक अधिक भुगतान कर रहा है और घाटे की भरपाई करने के लिए उपभोक्ताओं को बेचे जाने वाले दूध की कीमतें बढ़ानी पड़ रही है। साथ ही किसानों को अच्छा दाम देने से बचता है। उक्त ठेका फर्म ने पूर्व में भी उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं की कोर्ट से सालों पहले स्थगन ले रखा था। उसी के आधार पर वह संघ में जमी हुई थी। जब नवदुनिया ने ठेका श्रमिक के नाम पर संघ द्वारा किए जा रहे लाखों रुपये के अधिक भुगतान से जुड़े मामले को उजागर किया तो संघ की तरफ से आनन-फानन में स्थगन खारिज करने की प्रक्रिया की गई। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मार्च में ठेका फर्म का स्थगन खारिज कर दिया था। जिसके बाद संघ ने नए सिरे से 12 अप्रैल को टेंडर की अधिसूचना जारी कर दी थी जिसे 1 मई को स्थगित कर दिया है। गौर करने वाली बात यह है कि ठेका फर्म ने स्थगन के लिए नए सिरे से जो पक्ष प्रस्तुत किया है उसमें प्रशासक की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। साथ ही संघ में चुना हुआ संचालक मंडल नहीं होने की आड़ ली है।न्यायिक सहकारी संस्थाएं जिला भोपाल के उप पंजीयक बबलू सातनकर ने उक्त मामले में सुनवाई 19 मई को तय की है। जिसमें एक पक्ष मेसर्स गोपाल विश्वास और दूसरा पक्ष भोपाल सहकारी दुग्ध संघ है। दोनों को सुना जाएगा।

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