डरबन । दक्षिण अफ्रीका ने शिकार के लिए शेर पालने पर रोक लगा दी है। इसे ऐतिहासिक फैसले के तौर पर माना जा रहा है, क्योंकि ट्रॉफी हंटिंग यानी मनोरंजन के शिकार के कारोबार के जरिए देश को सालाना करीब 2,500 करोड़ रुपए की कमाई होती है, जो उसकी जीडीपी का करीब 7 फीसदी है। ट्रॉफी हंटिंग के लिए यहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। वे यहां फार्म पर विशेष रूप से तैयार किए गए शेर, हाथी, गेंडा या राइनो, बफेलो और बारहसिंगा जैसे जानवरों का शिकार करते हैं। इसके लिए वे भारी भरकम पैसे भी चुकाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा मांग शेर के शिकार की है, जिसे मारने के बाद वे फोटो खिंचवाकर और उसके अंगों को घर में सजाकर वाहवाही बटोरने की कोशिश करते हैं। लेकिन इस रोक के बाद उनका यह मंहगा शौक पूरा नहीं हो सकेगा। इस फैसले की घोषणा करते हुए पर्यावरण मंत्री बारबरा क्रिसी ने कहा, हमने सभी पक्षों के बातचीत के बाद यह फैसला लिया है। हम समझते हैं कि इससे जानवरों की फार्मिंग करने वालों पर असर पड़ेगा, लेकिन यह भी कहना चाहते हैं कि असली शिकार जंगलों में होता है, उनकी खेती करने के बाद पिंजरे में बंद जानवरों का नहीं।
जंगलों में 3500 शेर, पर शिकार के लिए 12 हजार
आंकड़ों के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका में करीब 7,000 गेम फाम्र्स हैं, जिनमें शिकार के लिए जानवरों को तैयार किया जाता है। चौंकाने वाली बात यह है कि यहां के जंगलों में सिर्फ 3,500 शेर हैं, जबकि 350 फाम्र्स पर शिकार के लिए तैयार शेरों की संख्या 12 हजार से ज्यादा है।