भोपाल । राजधानी के विभिन्न अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में जाकर मनोचिकित्सकों की टीम लोगों को कोरोना के भय के भूत से छुटकारा दिला रही है। इसके सकारात्मक परिणाम भी आ रहे हैं। मनोविज्ञानी स्वीकार कर रहे हैं कि कोरोना की पहली लहर के दौरान लोग कोरोना वायरस के बारे में अनभिज्ञ थे। तब संक्रमण से मौत के कम मामले सामने आए थे। समय के साथ लोग कोरोना वायरस की प्रकृति से परिचित भी हो गए। वैक्सीन आने के बाद लोगों में कोरोना के प्रति भय भी कम हुआ था, लेकिन दूसरी लहर आने के बाद इंटनेट मीडिया पर तबाही के मंजर देखने के बाद अधिकांश लोगों में घबराहट की शिकायत आम हो गई है। श्मशान घाटों पर एक साथ जल रही कई चिताओं की डरावनी तस्वीरों और जीवन रक्षक इंजेक्शन, ऑक्सीजन की कमी के समाचारों ने एक बड़े वर्ग को विचलित कर दिया है। इससे पूरी तरह स्वस्थ लोग भी भयभीत हैं। हमीदिया अस्पताल के चिकित्सा मनोविज्ञानी डॉ. राहुल शर्मा बताते हैं कि उनकी टीम के सदस्य कोविड वार्ड में कोराना प्रोटोकाल के तहत जाते है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में जाकर लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पूछते हैं। इस दौरान पाया गया कि आम लोग और कोरोना प्रभावित 80 फीसद लोग सिर्फ घबराहट महसूस होने की शिकायत करते हैं। इस तरह के लोगों को इंटनेट मीडिया पर ऐसे समाचार देखने को मना किया जाता है, जिसमें तबाही का मंजर दिखाया जाता है। उन्हें जीवन के प्रति सकारात्मक दृषिटकोण रखने योग, प्राणायाम, व्यायायाम करने की सलाह दी जाती है। डॉ. शर्मा ने बताया कि शुक्रवार को वह मनोचिकित्सक डॉ. आरके बैरागी, नर्स सपना राय के साथ कोलार के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे। वहां बड़ी संख्या में लोग कोरोना टेस्ट कराने के लिए मौजूद थे। टीम ने 25-25 लोगों का समूह बनाकर चर्चा की। अधिकांश ने कोरोना से भयभीत होने की बात स्वीकार की। इनमें से कुछ काफी डरे हुए थे। कुछ लोग रैपिड एंटीजन टेस्ट कराने अंदर गए। जिनकी रिपोर्ट निगेटिव मिली, उनके चेहरे के हाव-भाव बदल चुके थे। इसके बाद सभी लोगों को संक्रमण से बचने के टिप्स दिए गए। साथ ही भविष्य में संक्रमण के खतरे से बचने के लिए वैक्सीन जरूर लगवाने की सलाह भी दी गई। मालूम हो कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने लोगों को भयाक्रांत कर दिया है। मौत का बढ़ता ग्राफ और संक्रमण के बढ़ते मामलों से जीवन के प्रति असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। इससे लोग अज्ञात भय का शिकार बन रहे हैं।