भोपाल । कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रदेश के ग्वालियर शहर स्थित तपोवन में वन विभाग की नर्सरी पर लोग औषधीय पौधे लेने पहुंच रहे हैं। हालांकि कोरोना कर्फ्यू के कारण उनकी संख्या कम है। वहीं गर्मी का मौसम होने के कारण औषधीय पौधों में नीम गिलोय व अश्वगंधा अभी तैयार नहीं है। कोरोना महामारी से लोग बचने के लिए जहां दवाइयों का सहारा ले रहे हैं। वहीं लोग औषधीय पौधों का भी उपयोग कर रहे हैं। इसके लिए सर्वाधिक मांग तुलसी, नीम, गिलोय व अश्वगंधा की है। हालांकि तपोवन में अभी सिर्फ तुलसी का पौधा ही देने योग्य बचा है, बाकी नीम, गिलोय व अश्वगंधा की पौध तैयार की जा रही है, जो कि जून-जुलाई में देने लायक होगी। तपोवन में इस साल चालीस हजार औषधीय पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इनमें अश्वगंधा, नीम, गिलोय, अपराजिता, हनुमान तुलसी, रामा तुलसी, श्यामा तुलसी, वृंदा तुलसी आदि पौधे तैयार किए जा रहे हैं। वन विभाग की तपोवन नर्सरी में इस साल नौ लाख पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इनमें 40 हजार पौधे औषधीय हैं, जबकि अन्य पौधे वन विस्तार वाले हैं। इन पौधों को वर्षाकाल में वितरित किया जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार ग्वालियर की जलवायु गर्म होने के कारण इस समय पौधों को रोपित करना ठीक नहीं होता है, क्योंकि ऐसे में इनके पनपने की गुंजाइश कम रहती है। वर्षाकाल में पौधों का रोपण करने से वह बेहतर पनपते हैं। इस बारे में वन विस्तार अधिकारी तपोवन स्वाति पाठक का कहना है कि औषधीय पौधे लेने के लिए लोग आ रहे हैं। हम उन्हें फिलहाल तुलसी का पौधा ही उपलब्ध करा पा रहे हैं। बाकी के औषधीय पौधे तैयार किए जा रहे हैं।