भोपाल । राजधानी में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आ रही है, इसके बावजूद ऑक्सीजन की डिमांड बढती जा रही है। विगत एक सप्ताह में ऑक्सीजन की मांग 20 मीट्रिक टन ज्यादा बढ गई है। भोपाल में 110 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्रतिदिन खर्च होती है, लेकिन अब इसकी मांग 130 मीट्रिक टन तक पहुंच गई है। इधर, कोरोना संक्रमित मरीजों का दबाव बढऩे के कारण ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी आइनॉक्स एयर प्रोडक्ट गोविंदपुरा के कर्मचारी ने दिन-रात मेहनत करके सप्लाई कर रहे है। संक्रमित मरीजों के लिए प्राणवायु तैयार करने के लिए आइनॉक्स के श्रमिक कोरोना संक्रमण की चपेट में भी आए, लेकिन बाकी कर्मचारियों का हौसला कम नहीं हुआ। इस कारण ऑक्सीजन का उत्पादन बीस दिन में 15 मीट्रिक टन प्रतिदिन से बढ़कर 100 मीट्रिक टन रोजाना हो गया। कोरोना महामारी के संकट में ऑक्सीजन और अस्पतालों में आपूर्ति के काम का मुख्य जिम्मा संभालने वाले आईनॉक्स के एमपी स्टेट हेड अनिल खमेसरा पूरे प्रदेश का प्रबंधन संभाल रहे हैं। कंपनी के प्रतिनिधियों की मानें तो चार दिन पहले उनकी पत्नी की तबियत बिगडी। वह आइसीयू में हैं। इसके बावजूद खमेसरा कंपनी में निरंतर कर्मचारियों के साथ प्रबंधन संभाल रहे हैं। आइनॉक्स गोविंदपुरा के अफसरों ने बताया कि इस संकट में ऑक्सीजन के उत्पादन बढ़ाने से लेकर अस्पतालों तक पहुंचाने में हमारे कर्मचारी अपना सुख-दुख भूलकर काम कर रहे हैं। संजय पटेल का पूरा परिवार संक्रमित हो गया। संजय के पिता की कोरोना से मौत हो गई। लेकिन परिवार के बाकी संक्रमित सदस्यों की चिंता ईश्वर पर छोडकर संजय ड्यूटी पर आ गए। राहुल नाम के कर्मचारी के पिता का भी कुछ दिन पहले निधन हुआ। उन्होंने भी जिम्मदारियों से मुक्त होकर अगले दिन ही कंपनी में ड्यूटी ज्वाइन कर ली। राजेश रंजन भोपाल के सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम संभाल रहे हैं। डिस्पैच में कार्यरत संतराम को हार्ट अटैक आया। लेकिन वे अस्पताल से डिस्चार्ज होने के कुछ दिन बाद ही ड्यूटी पर आकर प्राणवायु तैयार कराने में जुट गए। यही वजह है कि भोपाल में 4 दिन पहले जहां 105 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत थी और 80 टन मिल रही थी, वहीं अब ऑक्सीजन की भरपूर आपूर्ति हो रही है। इस बारे में गोविंदपुरा के आइनॉक्स एयरप्रोडक्ट के जगजीत सिंह का कहना है कि भोपाल के लगभग 124 अस्पतालों से लेकर प्रदेश भर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए अप्रैल के महीने से हमारे कर्मचारी कई रातें सोए नहीं। हमारे स्टेट हेड की पत्नी अस्पताल में भर्ती हैं, फिर भी वे प्लांट पर रहकर प्रोडक्शन का काम देख रहे हैं। टीम की बदौलत ऑक्सीजन का उत्पादन 15 मीट्रिक टन से बढ़कर बीस दिनों में ही 100 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो गया है।