भोपाल । प्रदेश के इंदौर शहर के विजय नगर निवासी 88 वर्षीय द्रौपदी चंदानी ने कोरोना वायरस को मात देकर विजेता बनने में सफलता हासिल की है। अपने अनुभव साझा करते हुए द्रौपदी चंदानी ने बताया कि कोरोना को हराने के लिए सबसे जरूरी है सकारात्मक रहना। यदि आपके मन में जरा भी नकारात्मक विचार आ गए तो परेशानी बढ़ जाएगी। यह कहना है इंदौर विजय नगर निवासी 88 वर्षीय द्रौपदी चंदानी का। इन्होंने बिना डरे कोरोना पर जीत हासिल की है। उनका कहना है कि कोरोना हो जाए तो तनाव न लें। सही समय पर उपचार लें और खाने-पीने का विशेष ध्यान रखें। मैं आठ दिन अस्पताल में रही। इस दौरान आसपास में भर्ती हुए मरीजों से हंसी-मजाक करती रही। सबको खुश रहने की सलाह देती रही। कई बार खाना भी शेयर करके खाते थे। कोरोना संक्रमण को हराने के लिए माहौल का महत्वपूर्ण रोल है। हमें सकारात्मक माहौल की जरूरत होती है। फोन पर परिचित भी बात कर रहे हों तो उन्हें भी पता होना चाहिए कि जिस समय मरीज अस्पताल में भर्ती हो उस समय इधर-उधर की बातें न करते हुए उन्हें हिम्मत देनी चाहिए। उनके साथ खुश होकर बात करनी चाहिए। द्रौपदी का कहना है कि खाली समय में आराम करना चाहिए और भगवान की भक्ति में भी ध्यान लगाना चाहिए। डाक्टर द्वारा दी गई दवाइयां समय पर लेना चाहिए। सामान्य भोजन के साथ फल भी खाते रहें। हर दिन कुछ देर परिवार के सदस्यों से बात करते रहना चाहिए। अगर परिवार में छोटे बच्चे हैं तो उनसे वीडियो कांफ्रेंसिंग पर बात करने से भी बहुत खुशी मिलती है। इस तरह से राजधानी के 57 वर्ष के संजय शर्मा हैं जिन्होंने आक्सीजन पर रहने के बावजूद कोरोना को मात दी है। कोरोना संजय ने बताया कि मेरी रिपोर्ट पांच अप्रैल को पॉजिटिव आई। इसके बाद घबराहट होने लगी की घर में किसी को तो नहीं हुआ। पूरे परिवार का टेस्ट हुआ तो दोनों बहू और एक बेटा कोविड पाजिटिव निकला। इसके बाद और भी तनाव होने गला। इसके बाद बुखार दिन प्रतिदिन तेज हो रहा था और सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी। फिर बेटों ने मुझे अस्पताल में भर्ती कराया, बाकि सदस्यों को घर में क्वारंटाइन किया। जब डॉक्टरों ने सिटी स्कैन के साथ अन्य जांचें की तो पता चला कि मेरे फेफ.डे में करीब 36 फीसद संक्रमण फैल गया था। इसके बार लगातार डॉक्टरों की निगरानी में रहा। आठ दिन ऑक्सीजन लगा रहा। घर के बाकी सदस्यों की भी चिंता थी कि सब ठीक रहें। सुबह-शाम पूरे परिवार से वीडियो कॉल पर बातचीत करता रहा। उन लोगों को भी हिम्मत देता रहा कि सब ठीक हो जाएगा। अस्पताल में हर रोज अनुलोम-विलोम और कपालभाति प्राणयाम करता रहा। अस्पताल में अपनी हिम्मत को बनाए रखा। इस कारण जल्दी ठीक हो गया। सबसे जरूरी बात कि हर दो घंटे में कुछ ना कुछ खाते रहें। कमजोरी बिल्कुल नहीं आने दें। साथ ही पपीता, सेब आदि फल खाएं और हल्दी वाली दूध पीएं। हर दिन सुबह व शाम भाप जरूर लें। अपने अंदर आत्मविश्वास बनाएं रखें और मन को मजबूत रखें। इसके अलावा परिवार का साथ बहुत जरूरी है। साथ ही खुद को अंदर से मजबूत रखें।